रुद्रपुर: दशरथ मरण की लीला का भावपूर्ण मंचन करते कलाकार

रुद्रपुर। नगर की प्रमुख बस अड्डे वाली रामलीला में सुमंत की वापसी, राम की भील राजा गुह से भेंट, राम केवट संवाद, दशरथ मरण तक की लीला का भावपूर्ण व सुंदर मंचन हुआ। दीप प्रज्जवलन नगर के समाजसेवी एवं उघोगपति, आर्म इंडिया के प्रबंध निदेशक मुकेश सिंह ने किया। श्रीरामलीला कमेटी नें सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर एवं श्री गणेश जी की प्रतिमा देकर सम्मानित किया।

आगे गंगा किनारे पहुंचनें पर उनकी मुलाकात केवट मल्लाह भगवान श्री राम गंगा पार करने के लिए केवट को पुकारते हुए कहा कि हे मल्लाह, तनिक नाव को किनारे लाएं, हमें उस पार जाना है। हालांकि केवट नाव को नहीं लाता और भगवान श्री राम के सामने एक शर्त रख दी। प्रभु आपके पैरों की धूल तक से सब भवसागर से तर जाते है। मेरी यह नाव ही रोजी रोटी का एकमात्र जरिया है, इसलिए आपको नाव पर बैठने से पहले अपना पांव धुलवाने होंगे। तभी वह नाव पर चढ़ने देंगे।

प्रभु के पांव धुलवानें पर ही केवट मल्लाह उन्हें गंगा पार कराते है। जब राम उन्हें सीताजी अंगूठी देते हैं तो उसे केवट स्वीकार करने से मना कर देते हैं तो वह कहते हैं कि आप तो पूरे भवसागर को पार लगानें वाले मल्लाह हैं, एक मल्लाह दूसरे मल्लाह से मल्लाही कैसे ले सकता है? उधर अयोध्या के राजमहल में राजा दशरथ मरणासन्न हैं। मंत्री सुमन्त वापस पहुंचकर उन्हें बताते हैं कि राम वापस नहीं आये। यह सुनते ही दशरथ की आखिरी उम्मीद भी टूट जाती है। वह चीत्कार कर उठतें हैं।

राम-राम का विलाप करते हुए उनके प्राण परेखु उड़ जाता है। अयोध्या में गम के बादल छा जातें है। पर्दा गिर जाता है।  इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के इस अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, अमित गंभीर सीए, समन्वयक नरेश शर्मा, विजय जग्गा, राकेश सुखीजा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा, कर्मचन्द राजदेव, सुभाष खंडेलवाल,  हरीश अरोरा, महावीर आजाद, दिव्यांश गोयल, राजकुमार नारंग, सुशील गाबा आदि मौजूद रहे।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें