इन दिनों यूक्रेन को युद्ध में अमेरिका और पश्चिमी देश मदद दे रहे हैं, इससे रूस भड़का हुआ है। इसी बीच हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का चैनल माने जाने वाले रूसी चैनल ने धमकी दी है कि न्यूक्लियर अटैक करके ब्रिटेन को समुद्र की गहराइयों में डुबो दिया जाएगा। इस चैनल के एंकर ने ग्राफिक के जरिए दिखाया कि कैसे रूस की समरत मिसाइल और उसका पोसीडॉन नामक न्यूक्लियर ड्रोन ब्रिटेन को दुनिया के नक्शे से मिटाने के लिए काफी हैं। ब्रिटेन पर रूस के परमाणु हमले की धमकी के बाद से रूस के पोसीडॉन न्यूक्लियर ड्रोन की बहुत चर्चा हो रही है।
रूस ने दी ब्रिटेन को मिटाने की धमकी
रूस के लोकप्रिय रशियन स्टेट टीवी एंकर ने अपने प्राइम टाइम शो में यूक्रेन का समर्थन करने के लिए ब्रिटेन पर रूस के न्यूक्लियर हमले की धमकी दी। रूस के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले चैनल वन के एंकर दिमित्री किसलीव ने दावा किया कि रूस का अंडरवाटर ड्रोन पोसीडॉन समुद्र में 1600 फीट ऊंची लहरें पैदा करके पूरे ब्रिटेन को डुबो सकता है।
चैनल ने एक वीडियो में ग्राफिक के जरिए दिखाया कि कैसे पोसीडॉन ब्रिटेन का नाम-ओ-निशान मिटा सकता है। दिमित्री ने ये भी कहा कि पोसीडॉन के हमले से न केवल ऊंची लहरें उठेंगी, बल्कि जबर्दस्त रेडिएशन भी निकलेगा, जो ब्रिटेन को रेडिएक्टिव रेगिस्तान में बदल देगा। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस वीडियो में दिखाया गया इलाका ब्रिटेन के साथ ही आयरलैंड का भी है, जो ब्रिटेन का ही पड़ोसी है।
हथियार पोसीडॉन से रूस का क्या है कनेक्शन
रूस का पोसीडॉन एक अंडरवाटर ड्रोन है, जिसे स्टेट्स-6 के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिका में इसे कैनयन के नाम से जानते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो रूस का पोसीडॉन न्यूक्लियर क्षमता से लैस अंडरवाटर ड्रोन है। ये ड्रोन और टारपीडो का मिश्रण है, जो दुनिया के किसी भी डिफेंस सिस्टम को भेद सकता है। पोसीडॉन एक बड़ा, न्यूक्लियर पावर्ड, न्यूक्लियर वेपन वाला ऑटोनॉमस यानी स्वचालित टारपीडो है।
पोसीडॉन को दुश्मन देशों के नेवी बेस और तटीय शहरों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। रूस का दावा है कि ये अमेरिका के न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स जैसे शहरों को निशाना बना सकता है।अमेरिका समेत दुनिया के किसी भी देश के पास अभी पोसीडॉन जैसी टेक्नोलॉजी वाला हथियार नहीं है।
जानिए पोसीडॉन कितनी स्पीड से करता वार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोसीडॉन नामक ये रूसी टारपीडो करीब 65 फीट लंबे ट्यूब से बना है और 6.5 फीट डायमीटर वाला है। ये करीब एक किलोमीटर गहराई तक जा सकता है और इसकी रेंज करीब 10 हजार किलोमीटर है। ये 100-185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपने टारगेट को हिट कर सकता है।
तटीय इलाकों पर इसके धमाके से 1600 फीट ऊंची लहरें उठ सकती हैं, जिससे एक पूरा शहर डुबोया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसके पानी में बहुत गहरे और बहुत तेज ऑपरेट करने की क्षमता है, जिससे इसे ट्रैक कर पाना मुश्किल होता है। पोसीडॉन की तेज रफ्तार पारंपरिक सबमरीन की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा है।
जानकारों के मुताबिक, रूसी टारपीडो की रेंज बहुत ज्यादा है, जो बहुत तेजी से चलता है और फिर न्यूक्लियर हमला कर देता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पीड और पानी में गहराई में जाने के मामले में दुनिया के बाकी टारपीडो पोसीडॉन से पीछे हैं।
ताकतवर न्यूक्लियर वेपन से लैस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोसीडॉन 2 मेगाटन क्षमता वाले न्यूक्लियर हथियार से लैस हो सकता है। इस क्षमता के बारे में हाल के वर्षों में रूसी न्यूज एजेंसी TASS ने कई बार जिक्र किया है। 2 मेगाटन न्यूक्लियर हथियार क्षमता का मतलब है कि ये हिरोशिमा पर गिराए गए न्यूक्लियर बम से 100 गुना ज्यादा ताकतवर है। हिरोशिमा पर 15 किलोटन क्षमता वाला न्यूक्लियर बम गिराया गया था। ये हाल ही में अमेरिका के B61 न्यूक्लियर बम से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर है।
इस टारपीडो के अंदर एक न्यूक्लियर रिएक्टर है, जो इस अंडरवाटर ड्रोन को असीमित एनर्जी देता है, जिससे ये बड़ा परमाणु हमला कर सकता है। रूस का दावा है कि उसका ये अंडरवाटर ड्रोन किसी भी देश के न्यूक्लियर डिफेंस को भेदकर हमला करने में सक्षम है।
पोसीडॉन की ये हैं खासियत
पोसीडॉना को ड्रोन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ये खुद ही नेविगेट कर सकता है। साथ ही इसे दूर कहीं बैठकर भी ऑपरेट किया जाता है। कुछ जानकारों के मुताबिक, पोसीडॉन को दो तरह से लॉन्च किया जा सकता है- सीबेड या मोबाइल साइट लॉन्च ऑप्शन। सीबेड ऑप्शन का मतलब है कि पोसीडॉन समुद्र तल में एक खास कंटेनर में जब तक जरूरी हो तब तक रखा जा सकता है।
सबमरीन से भी लॉन्च किया जा सकता टारपीडो
यानी इस टारपीडो को समुद्र तल में पहले से ही तैनात रखा जाता है और सबमरीन से लॉन्च करने के बजाय सीधे समुद्र तल से ही एक्टिवेट किया जा सकता है, जो आपात स्थिति में भी तुरंत ही टारगेट को भेदने में मदद करता है। हालांकि, इसे सबमरीन से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसे या तो सीधे एक्टिवेट करके या फिर सबमरीन के जरिए पहले तटीय शहर के पास ले जाया जाता है और फिर टारपीडो की तरह छोड़ दिया जाता है, जो टारगेट से टकराकर बड़ा धमाका करता है।
ये सबमरीन की तरह स्टेल्थ टेक्नीक पर काम करता है, यानी बेहद कम शोर करते हुए दुश्मन के ठिकाने की ओर बढ़ता है। टारगेट तक पहुंचने से पहले ये कम स्पीड से आगे बढ़ता है, लेकिन जब टारगेट की दूरी महज 2-3 किलोमीटर रह जाती है तो इसकी स्पीड अधिकतम हो जाती है, ताकि इसे डिटेक्ट न किया जा सके।
माना जाता है कि पोसीडॉन का खोल टाइटेनियम का है, जिसकी वजह से ही बहुत गहराई पर भी ये दबाव का सामना कर पाता है। इसे लॉन्च करने के लिए बहुत शोर मचाने वाले सबमरीन की जरूरत नहीं पड़ती। पोसीडॉन को ट्रैक कर पाना इसलिए मुश्किल होता है, क्योंकि ज्यादातर ताकतवर देशों के पास मिसाइल डिफेंस तो मौजूद है, लेकिन बहुत कम ही देश ऐसे हैं, जो न्यूक्लियर टारपीडो से निपटने में सक्षम हैं, जो बहुत तेजी से चलता है।
जानिए शहर को डुबाने में कैसे है माहिर पोसीडॉन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तटीय इलाकों में पोसीडॉन के ब्लास्ट से इतना बड़ा धमाका किया जा सकता है कि जैसे समुद्र में सुनामी आ गई है। इससे 300-1600 फीट ऊंची लहरें उठती हैं, जो धमाके के पास स्थित शहर या किसी नेवल बेस को डुबो सकती हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुश्मन के इलाके में रेडियोएक्टिव रेडिएशन फैलाने के लिए पोसीडॉन कोबाल्ट बम से लैस है। कोबाल्ट बम ऐसा न्यूक्लियर वेपन है, जिसे दुश्मन के किसी इलाके पर रेडियोएक्टिव पदार्थों की बारिश के लिए तैयार किया जाता है।
ड्रोन पर कई किताबें लिख चुके टेक जर्नलिस्ट डेविड हबंलिंग ने एक इंटरव्यू में रूस के पेसीडोन के ब्रिटेन को डुबा देने की आशंकाओं को गलत बताया। हंबलिंग का कहना है कि पोसीडॉन को अगर किसी बंदरगाह के करीब ले जाकर तट के बेहद नजदीक ब्लास्ट किया जाएगा तो ये निश्चित रूप से एक समुद्र के पास स्थित शहर तबाह कर सकता है, लेकिन ये उससे ज्यादा तबाही नहीं मचा पाएगा।
यानी इसके जरिए ब्रिटेन को तबाह करने की रूसी चेतावनी के सच होने की संभावना कम है। हंबलिंग का ये भी कहना है कि रूसी अंडरवाटर ड्रोन पोसीडॉन के ब्लास्ट से बड़े हवाई न्यूक्लियर ब्लास्ट की तुलना में कम तबाही होगी।
पोसीडॉन के बारे में जाने ये
पोसीडॉन को लेकर भले ही रूस बड़ा दावा कर रहा है, लेकिन इसके बारे में दुनिया को ज्यादा जानकारी नहीं है और पोसीडॉन की असल क्षमता अब भी दुनिया के लिए एक रहस्य है। इस अंडरवाडर ड्रोन के बारे में ज्यादातर जानकारी 2015 में अंडरवाटर न्यूक्लियर ड्रोन को लेकर रूसी सरकार के प्रोजेक्ट से जुड़ी रशियन टीवी की लीक हुई एक फुटेज से मिली थी। इस टारपीडो को डेवलप करने के पीछे रूस की वह महत्वाकांक्षा थी कि वह ऐसे हथियारों को बनाए, जो अमेरिकी के डिफेंस सिस्टम को मात दे सकें।
2018 में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के न्यूक्लियर पॉस्चर रिव्यू के लीक हुए एक ड्राफ्ट में इस बात को स्वीकार किया गया था कि रूस एक नया इंटरकॉन्टिनेंटल, न्यूक्लियर क्षमता से लैस, अंडर-सी ऑटोनॉमस टारपीडो डेवलप कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोसीडॉन के अब तक कई टेस्ट हो चुके हैं, लेकिन क्या ये रूसी नेवी में तैनात हो चुका है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं है। अमेरिका का मानना है कि रूस इसे 2027 तक तैनात कर सकता है।
टारपीडो क्या है?
टारपीडो एक पतले और लंबे ट्यूब के शेप का एक अंडरवाटर हथियार होता है, जिसका इस्तेमाल सबमरीन या जंगी जहाज से पानी के अंदर या जमीन के टारगेट को नष्ट करने में होता है। टारपीडो भारी विस्फोटक से लैस होते हैं। 1900 से ही टारपीडो का इस्तेमाल पानी के अंदर ऑटोमैटिक विस्फोटक डिवाइस के रूप में किया जा रहा है।