सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। इसके लिए 5 जजों की बेंच गठित की गई है। 2016 में विवेक शर्मा ने याचिका दाखिल कर सरकार के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद 58 और याचिकाएं दाखिल की गईं। अब तक सिर्फ तीन याचिकाओं पर ही सुनवाई हो रही थी। अब सब पर एक साथ सुनवाई होगी। यह सुनवाई जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में होगी।
इस मामले में 16 दिसंबर 2016 को ही ये केस संविधान पीठ को सौंपा गया था, लेकिन तब बेंच का गठन नहीं हो पाया था। 15 नवंबर 2016 में उस समय के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ की थी।
चीफ जस्टिस ने कहा था- नोटबंदी की योजना के पीछे सरकार की जो मंशा है वो तारीफ के लायक है। हम आर्थिक नीति में दखल नहीं देना चाहते, लेकिन हमें लोगों को हो रही असुविधा की चिंता है। उन्होंने सरकार से इस मसले पर एक हलफनामा दायर करने को कहा था।
8 नवंबर 2016 को PM मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी
8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री का देश के लोगों के नाम संदेश याद होगा। यह वही संदेश था जिसमें प्रधानमंत्री ने उस रात 12 से 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। तब प्रधानमंत्री हों, उस समय के वित्तमंत्री या तमाम बड़े नौकरशाह, सभी ने अलग-अलग मौकों पर नोटबंदी के पांच बड़े मकसद बताए थे।
दुनिया की इस सबसे बड़ी नोटबंदी के फैसले को लेकर पहले दिन से सवाल उठाए गए, लेकिन आमतौर पर देश की जनता प्रधानमंत्री के साथ खड़ी नजर आई।
16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को 5 जजों की बेंच को सौंपा था
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकीलों ने सरकार की नोटबंदी की योजना में कई कानूनी गलतियां होने की दलील दी थी, जिसके बाद 16 दिसंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था। तब कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था। यहां तक कि कोर्ट ने तब नोटबंदी के मामले पर अलग-अलग हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर भी सुनवाई से रोक लगा दी थी।
2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। पूरी कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया…मगर नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में अब 9.21 लाख करोड़ गायब जरूर हो गए हैं।