सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अबॉर्शन पर बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि सभी महिलाएं सेफ और लीगल अबॉर्शन की हकदार हैं। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है। ऐसी प्रेग्नेंट महिलाएं जिनका मैरिटल रेप हुआ है, वे भी अबॉर्शन करा सकेंगी।
अविवाहित महिलाओं को भी 20-24 हफ्ते के गर्भ को अबार्ट कराने की अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है।
अब इन महिलाओं से अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता
कोर्ट ने कहा कि ऐसी महिलाएं जो लिव-इन रिलेशनशिप से इतर प्रेग्नेंट हुई हैं, उन्हें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स से बाहर करना असंवैधानिक है। अदालत ने यह भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप का मतलब मैरिटल रेप समेत होना चाहिए।
अदालत ने आगे कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेद एक स्टीरियोटाइप को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन गतिविधियों में लिप्त होती हैं। किसी महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर उससे अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। सिंगल और अविवाहित महिलाओं को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत अबॉर्शन का अधिकार है।
SC ने 23 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था
अदालत ने कहा- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 (2) (बी) किसी महिला को 20-24 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने की अनुमति देता है। इसलिए केवल विवाहित महिलाओं को अनुमति और अविवाहित महिला को न देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने 23 अगस्त को मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।
इंटरनेशनल सेफ अबॉर्नशन डे पर फैसला
फैसला सुनाए जाने के बाद, एक वकील ने बेंच को बताया कि आज अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- मुझे नहीं पता था कि इंटरनेशनल सेफ अबॉर्नशन डे पर के दिन हम फैसला सुना रहे हैं। हमें यह जानकारी देने के लिए धन्यवाद।