उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा के शुरु हुए 22 दिन हो गए, लेकिन प्रशासन सुचारु व्यवस्था करने में अब भी नाकाम है। हेलीकॉप्टर नहीं मिलने की वजह से श्रद्धालु खच्चर और घोड़े से जाने को मजबूर हैं। इधर, खच्चर मालिक पैसों की लालच एक खच्चर से 3-3 फेरे लगवा रहा है, जिससे अब तक 100 से ज्यादा खच्चरों की मौत हो चुकी है।
मंदाकिनी नदी हो रही ‘मैली’
वहीं मरने के बाद खच्चरों को केदारनाथ पैदल यात्रा में पड़ने वाली मंदाकिनी नदी में फेंक दिया जा रहा है, जिससे पैदल मार्ग में पड़ने वाली मंदाकिनी नदी ‘मैली’ हो रही है। केदारनाथ के लगभग 19 किलोमीटर के पैदल पथ पर श्रद्धाुलओं के लिए लगभग पांच हजार खच्चर और घोड़े हैं। हेलीकाॅप्टर बुकिंग की सुविधा है, लेकिन पर्याप्त हेलीकाॅप्टर नहीं होने के कारण ज्यादातर लोग खच्चरों पर जाते हैं। ज्यादा कमाई के फेर में खच्चरों से एक दिन में तीन फेरे तक लगवाए जाते हैं। कम चारे और अधिक मेहनत के कारण अब तक मारे गए लगभग 100 से ज्यादा खच्चरों के शव मंदाकिनी में सड़ रहे हैं। डॉ. प्रवीण पवार के अनुसार इससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
बर्फबारी, फिर भी बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
बर्फबारी के 2 दिन बाद बुधवार से केदारनाथ यात्रा एक बार फिर से बुधवार फिर शुरू हुई। जिसके बाद हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने केदारनाथ का रुख किया। जिससे व्यवस्थाएं बनाने में पुलिस और मंदिर समिति को खासा मेहनत करनी पड़ रही है। शुक्रवार को भी 30 हजार से ज्यादा यात्री केदारनाथ पहुंचे।
घोड़ा-खच्चर के लिए गर्म पानी की व्यवस्था नहीं
देखने में आया है कि संचालक और हॉकर गौरीकुंड से खच्चर- घोड़ों को हांकते हुए सीधे बेस कैंप केदारनाथ में रुकता है और थोड़ा बहुत चना व भूसा खिलाकर पुनः नीचे के लिए दौड़ाया जाता है। तमाम दावों के बावजूद पैदल मार्ग पर एक भी स्थान पर घोड़ा-खच्चर के लिए गर्म पानी की व्यवस्था नहीं है।
स्थिति पर मंदिर समिति कदम उठाए
बीमारी की आशंका के चलते स्थानीय लोगों ने मंदिर समिति से खच्चरों के शवों के निस्तारण की मांग की है। उधर, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि इस संबंध में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिए गए हैं। खच्चरों से ज्यादा फेरे ना लगाए जाएं, यह भी प्रशासन की ओर से सुनिश्चित कराया जा रहा है।
चारधाम यात्रा में अब तक 84 लोगों की मृत्यु
इस साल चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 24 दिनों के दौरान 84 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने अपील जारी की है कि ऐसे लोग यात्रा करने से बचे जिन्हें पिछले साल कोरोना हुआ था और इलाज के दौरान वो ICU में भर्ती रहे थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरी चारधाम यात्रा के दौरान 2019 में 90, 2018 में 102 और 2017 में 112 लोगों की मृत्यु हुई थी।
को-मॉर्बिड सावधान रहें
चिकित्सकों का कहना है कि को-मॉर्बिड लोग विशेष सतर्कता बरतें। मैदानी इलाकों से आने वाले श्रद्धालु केदारनाथ बदरीनाथ के सर्द मौसम के अनुसार एडजस्ट नहीं हो पाते हैं। ज्यादातर श्रद्धालुओं की मृत्यु का कारण हाइपोथर्मिया (अधिक शीत) होता है।