भास्कर समाचार सेवा
इटावा विश्व अस्थमा दिवस पर उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैंफई में मंगलवार को रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया।
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैंफई के कुलपति (प्रो)डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि अस्थमा सांस से जुड़ी बीमारी है। हम सभी को सांस से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूक होना चाहिए। अस्थमा रोगियों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाना चाहिए और धूम्रपान से दूरी बनानी चाहिए।
रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभागाध्यक्ष (प्रो) डॉ आदेश कुमार ने अस्थमा विषय पर विशेष व्याख्यान गोष्ठी में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सांस लेते समय सीटी की आवाज आना सीने में जकड़न की निशानी है। सांस लेने में परेशानी, बार-बार गला साफ करने का मन और हर समय थकान महसूस हो तो तत्काल जांच करानी चाहिए। यह अस्थमा के लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि अस्थमा होने से लोगों को खास तरह की एलर्जी होती है या किसी किसी को जेनेटिक समस्या होती है। खासतौर पर बच्चों को धूल व तेज गंध वाली वस्तु से दिक्कत बढ़ जाती है तो धूल मिट्टी से दूर रखना चाहिए। बच्चों को समय पर दवा लेते रहना चाहिए। खासकर दवा लेने में गैप नहीं करना चाहिए।
रेस्पिरेट्री मेडिसन विभागाध्यक्ष डॉ आदेश ने बताया कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ता वायु प्रदूषण, अस्त व्यस्त जीवनशैली से अस्थमा रोगी बढ़ रहे हैं। ओपीडी में लगभग 20-25 % मरीज अस्थमा के आते हैं। इसमें हर वर्ग के लोग होते हैं। अब यह समस्या खास तौर से बच्चों में ज्यादा देखी जा रही है। अस्थमा की अभी कोई दवा उपलब्ध नहीं है। रोगी को घर से बाहर निकलते समय रुमाल या मास्क का प्रयोग करना चाहिए l यथासंभव धूल या प्रदूषण वाली जगह में न जाएं। इनहेलर का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें। ठंडे या खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
गोष्ठी में मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ एसपी सिंह, डॉ उषा शुक्ला, डॉ रमाकांत, डॉ राजेश यादव डॉक्टर चंद्रवीर डॉ जितेंद्र डॉ सोमेंद्र, डॉ अमित, डॉ आदित्य,डॉ प्रशांत व मेडिकल छात्र आदि उपस्थित रहे।