
नई दिल्ली. भारतीय सेना में कर्नल नवजोत सिंह बल (39) का गुरुवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। उन्हें कैंसर था। इसी बीमारी की वजह से उनका एक हाथ भी काटना पड़ा था। कर्नल नवजोत के माता-पिता बेटे के अंतिम संस्कार के लिए शुक्रवार सुबह सड़क के रास्ते गुरुग्राम से बेंगलुरु रवाना हुए। वो आज देर शाम वहां पहुंचेंगे। देश में लॉकडाउन और सरकारी सिस्टम में खामियों की वजह से नवजोत के पैरेंट्स को फ्लाइट नहीं मिल सकी। सोशल मीडिया पर इसका विरोध भी किया जा रहा है।
9 अप्रैल को निधन
कर्नल नवजोत करीब एक साल से कैंसर से पीड़ित थे। कुछ दिन पहले उनका एक मेजर ऑपरेशन किया गया था। इसमें एक हाथ निकालना पड़ा था। इन्फेक्शन रोकने के लिए ये जरूरी था। हालांकि, इसके बावजूद यह शौर्य चक्र से सम्मानित यह जांबाज जिंदगी की जंग हार गया। 9 अप्रैल को बेंगलुरु के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

माता-पिता गुरुग्राम में थे
कर्नल नवजोत के पैरेंट्स गुरुग्राम में थे। यहां से बेंगलुरु की दूरी करीब दो हजार किलोमीटर है। सरकारी नियम-कायदों के चलते उनके पैरेंट्स को एयरफोर्स का विमान नहीं मिल सका। लॉकडाउन के चलते डोमेस्टिक फ्लाइट्स ऑपरेशन भी पूरी तरह नहीं चल रहे हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ब्यूरोक्रेसी ने भी जिम्मेदारी का परिचय नहीं दिया।
https://twitter.com/MajorPoonia/status/1248238580700307456
क्यों नहीं मिल सका कोई विमान?
कर्नल के पैरेंट्स को बताया गया कि बेंगलुरु के लिए कोई सिविलियन फ्लाइट नहीं मिल सकती। सेना का एयरक्राफ्ट इसलिए नहीं मिल सका क्योंकि इसके लिए जरूरी मंजूरी नहीं थी। उन्हें बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी फ्लाइट होम मिनिस्ट्री की मंजूरी से ही जा सकती है। गुरुवार रात होम मिनिस्ट्री ने इसकी मंजूरी दे दी लेकिन वायुसेना तक यह आदेश नहीं पहुंच सका। एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी को बताया, ‘एयरफोर्स के विमान के इस्तेमाल के लिए क्लीयरेंस जरूरी होता है। इस बारे में अनौपचारिक मंजूरी तो मिली लेकिन आदेश जारी नहीं हो सके।’ आखिरकार, नवजोत के माता-पिता को बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सड़क के रास्ते जाना पड़ा। वो आज रात (शनिवार 11 अप्रैल) तक बेंगलुरु पहुंचेंगे।
शौर्य चक्र से नवाजा गया था
कर्नल नवजोत भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स में 2 पैरा रेजीमेंट के अफसर थे। जम्मू-कश्मीर के लोलाब में एक ऑपरेशन के दौरान जांबाजी के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। एक साल पहले तक वो अपनी यूनिट को लीड कर रहे थे। 2002 में उन्हें कमीशन मिला था। एक साल पहले पता लगा कि उन्हें कैंसर है। मौत से एक दिन पहले नवजोत ने हॉस्पिटल से ही सेल्फी पोस्ट की थी।
Thank you sir. At the moment my parents are in Delhi figuring out a way to reach Bangalore to perform the last rites! I hope that The Forces will also be able to say ‘they can’ and not force them to drive 2000+ km to get to Bangalore. https://t.co/d2qaIOoo4f
— Navtez Singh Bal (@NavtezB) April 9, 2020
I'm aware, how many times (how many times) mantris converted their private visits (including to attend party events) into an official one by travelling by Service aircraft!! They will make DPSUs quickly organise a namesake event/ facility tour 2 make visit look official. 1/2 @pmo
— Anantha Krishnan M🇮🇳 (@writetake) April 10, 2020
लोगों में नाराजगी
नियमों के मुताबिक, किसी सैन्य अफसर के निधन के बाद पार्थिव शरीर उनके होमटाउन पहुंचाया जाता है। नवजोत के पैरेंट्स उनका अंतिम संस्कार बेंगलुरु में ही करना चाहते थे। बहरहाल, इस मामले पर लोग सरकार और नौकरशाही के रवैये से खफा हैं। नवजोत के भाई नवतेज ने शनिवार दोपहर 3 बजे बताया कि वो बेंगलुरु से 650 किलोमीटर दूर हैं। इसके पहले शुक्रवार को नवतेज के ट्वीट का जवाब देते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक ने लिखा, “मुझे गहरा दुख है। भारत सरकार ने भी मदद नहीं की। नियम कोई पत्थर की लकीर नहीं हैं। विशेष परिस्थितियों में इन्हें बदला जा सकता है।














