नई दिल्ली
भारत में हर दिन मरीजों के आंकड़ों में रेकॉर्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। पिछले 24 घंटों में यहां कोरोना वायरस के 7 हजार केस सामने आए हैं। वहीं मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 4 हजार पार हो गई है। इस बीच सबके मन में डर बना हुआ है कि क्या भारत में कोरोना तीसरे चरण में पहुंच गया है? क्या भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है? यही पता लगाने के लिए भारत के 10 हॉटस्पॉट शहरों में सेरोसर्वे कराया जाएगा।
इन 10 शहरों में होगा सर्वे
इन 10 शहरों में पूरे देश में सबसे अधिक कोरोना के मरीज हैं। सर्वे के लिए भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और दूसरी एजेंसियों ने प्रोटोकॉल भी तैयार कर किए हैं। सबसे ज्यादा मामलों वाले 10 शहरों में मुंबई, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, ठाणे, इंदौर, जयपुर, चेन्नई और सूरत शामिल हैं, जिनमें सेरोसर्वे कराया जाएगा।
24,000 लोगों के नमूनों की होगी जांच
इस सर्वे में 10 शहरों के अलावा देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 60 जिलों भी शामिल होंगे। इन जिलों का निर्धारण यहां की प्रति 10 लाख की आबादी पर संक्रमण के मामलों के आधार पर किया जाएगा। इन्हें चार कैटिगरी-जीरो, लो, मीडियम और हाई में बांटा गया है। आइसीएमआर का कहना है कि प्रत्येक कैटिगरी से 15 जिलों का चयन किया जाएगा और कुल 24,000 लोगों के नमूनों की जांच की जाएगी। इसको लेकर इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रोटोकॉल प्रकाशित हुए हैं।
नतीजों से तय होगा भारत का रुख
आईसीएमआर ने अपने बयान में कहा है कि हर जिले से 10 रैंडम क्लस्टर्स की पहचान की जाएगी और घरों से सैम्पल लेने शुरू किए जाएंगे। इस सर्वे के नतीजे बेहद अहम है। उनसे तय होगा कि भारत के लिए कोरोना से लड़ाई की दिशा क्या होगी।
क्या होता है सेरो सर्वे?
सेरो सर्वे में लोगों में एक ग्रुप के ब्लड सीरम को इकट्ठा कर के उसे अलग-अलग लेवल पर मॉनिटर किया जाता है। इससे कोरोना वायरस के पैमाने का पता लगाया जा सकता है। यह सर्वे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के अधिकारियों और राज्य के स्वास्थ्य विभागों के सहयोग से किया जाएगा।
क्या होगी सेरो सर्वे की प्रकिया?
सर्वे की प्रक्रिया के अनुसार, स्टडी टीम रैंडम घरों में जाएगी और उन्हें सर्वे की प्रक्रिया और उद्देश्यों के बारे में बताएगी। इसके बाद परिवारों से लिखित में सहमति ली जाएगी। इसके अलावा बेसिक डेमोग्राफिक डीटेल, कोविड-19 मामलों की एक्सपोजर हिस्ट्री, एक महीने में कोविड-19 जैसे लक्षणों और क्लिनिकल हिस्ट्री दर्ज की जाएगी।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन के ट्रेंड का पता लगाने के लिए लोगों के खून के सीरम की जांच की जाएगी। हर जिले में 10 क्लस्टर से 400 लोगों की नसों से खून का नमूना लिया जाएगा। एक घर से सिर्फ एक व्यक्ति के ही सैंपल लिए जाएंगे। यह सर्वे आईसीएमआर, स्वास्थ्य विभाग, नैशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और राज्यों के स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्युएचओ की मदद से कराएगा।
सेरो सर्वे क्यों है जरूरी?
इस कदम से न केवल सरकार और उसकी एजेंसियों को कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर नजर रखने में मदद मिलेगी, बल्कि देश के किसी भी हिस्से में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की भी जांच होगी। सर्वे के नतीजों से आगे की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। इससे संबंधित जिलों में ज्यादा संक्रमण वाले क्षेत्रों में लॉकडाउन को बनाए रखने को लेकर भी फैसला करने में मदद मिलेगी। शुरुआती सर्वे में कम्युनिटी में सार्स इंफेक्शन के सेरो प्रचार को चेक किया जाएगा और फिर बाद के चरणों से कम्युनिटी में इंफेक्शन के फैलने से निगरानी में मदद मिलेगी।
हर्ड इम्युनिटी का पता लगाया जाएगा
सर्वे के जरिए लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने का भी पता लगाया जाएगा। सर्वे में शामिल एक एक्सपर्ट के मुताबिक, ‘सर्वे से मिले रिजल्ट से यह पता चलेगा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में SARS-CoV-2 का कितना प्रसार हो चुका है। स्टडी के अनुसार, किसी जिले के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराया जाएगा। इसके जरिए यह चेक किया जाएगा कि क्या इन लोगों में एंडी बॉडी विकसित हो चुकी है या नहीं। डॉक्युमेंट में कहा गया है कि महामारी के खत्म होने के इंतजार के बजाय, सेरोसर्वे को नियमित अंतराल में रिपीट करना चाहिए। यह महामारी की सटीक निगरानी के लिए उपयोगी उपकरण हो सकता है।