पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में मंगलवार को प्रस्तावित भाजपा की सभा को अंतिम समय में पुलिस द्वारा अनुमति न देने के कारण विवाद खड़ा हो गया। यह सभा विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की थी।
पुलिस ने इस सभा के लिए अनुमति न देने का तर्क दिया कि भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई ने समय पर सभा की अनुमति के लिए जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए थे। संदेशखाली के ब्लॉक-2 में जब सभा का मंच तैयार हो रहा था, तभी पुलिस ने सभा को रोकने का फैसला सुनाया।
बसीरहाट पुलिस जिले के पुलिस अधीक्षक हुसैन मेहदी रहमान ने कहा कि उनके कार्यालय को सभा की जानकारी थी, लेकिन जरूरी दस्तावेज सोमवार रात ही जमा किए गए, जो समय पर नहीं माने जा सकते। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी जाती है। ऐसे में सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
भाजपा का दावा
भाजपा के बसीरहाट संगठनात्मक जिले के अध्यक्ष तापस घोष ने पुलिस के इस दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास दस्तावेज हैं, जो साबित करते हैं कि सभी कागजात समय पर जमा किए गए थे और पुलिस ने उन्हें प्राप्त भी किया था। सन्देशखाली के लोग शुभेंदु अधिकारी की बात सुनने को उत्सुक हैं, लेकिन सत्तारूढ़ दल और प्रशासन ऐसा नहीं चाहते।
इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को संदेशखाली में एक जनसभा को संबोधित किया था। यह सभा उस क्षेत्र में महिलाओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद आयोजित की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने निलंबित तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शहजहान और उनके सहयोगियों पर यौन उत्पीड़न और अवैध भूमि कब्जाने के आरोप लगाए थे।
मुख्यमंत्री ने अपनी सभा में कहा कि संदेशखाली में ‘पैसे का खेल’ हुआ। लोगों को गुमराह किया गया। लेकिन झूठ ज्यादा समय तक नहीं टिकता। मैं आप सबसे अनुरोध करती हूं कि एकजुट रहें और शरारती लोगों के झांसे में न आएं।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर शुभेंदु अधिकारी ने पलटवार करते हुए कहा था कि वे मंगलवार को अपनी सभा में इन आरोपों का जवाब देंगे। हालांकि, पुलिस द्वारा सभा रद्द करने के बाद यह संभव नहीं हो सका। संदेशखाली में इस घटना के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है और विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया है।