
बढ़नी, सिद्धार्थनगर। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है। कई अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर डॉक्टरों के नाम तो लिखे हैं, लेकिन असल में जांचें ऐसे लोग कर रहे हैं, जिनके पास कोई मेडिकल डिग्री या विशेषज्ञता नहीं है। मामला सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर, पचपेड़वा रोड का है, जहां बोर्ड पर डॉ. एम. अंसारी (एमबीबीएस, एमडी) का नाम दर्ज है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कभी यहां नजर ही नहीं आते। बल्कि, सेंटर का संचालन अमरेन्द्र यादव कर रहा है, और बिना योग्य विशेषज्ञों के अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच रिपोर्ट मरीजों को दी जा रही है।
बिना डॉक्टर के अल्ट्रासाउंड, मरीजों की जान के साथ खिलवाड़?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़नी इस सेंटर को एचआरपी दिवस के दौरान 30 से 40 मुफ्त अल्ट्रासाउंड करवाने की जिम्मेदारी देता है। सवाल यह उठता है कि जब सेंटर में कोई प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं, तो इन रिपोर्टों की सटीकता की क्या गारंटी है? क्या स्वास्थ्य विभाग को पता नहीं कि यह गैरकानूनी है?
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन क्यों बना है मूकदर्शक?
यह कोई अकेला मामला नहीं है। जिले में कई अन्य अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी सेंटर भी इसी तरह चल रहे हैं, जहां डॉक्टरों के नाम का सिर्फ इस्तेमाल हो रहा है, जबकि असल में जांच किसी और के द्वारा की जा रही है। सवाल यह है कि—
क्या स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, या जानबूझकर आंखें मूंद रखी हैं?
जब जिले के डीएम और एसपी दोनों डॉक्टर हैं, तो फिर ऐसी धांधली क्यों चल रही है?