दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
सीतापुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत बीती 23 नवंबर से पांच दिसंबर तक सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान चलाया गया।इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर संभावित क्षय रोग के लक्षण वाले मरीजों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध किया। जिसके बाद चिन्हित इन संभावित रोगियों की टीबी की जांच की गई। इस अभियान के दौरान जिले भर में कुल 179 टीबी रोगियों की पुष्टि हुई है।
इन सभी का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण के बाद उपचार भी शुरू कर दिया गया है। यह अभियान अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, ईंट-भट्टे, निर्माणाधीन भवन, फल व सब्जी मंडी, क्रेशर, बाल संरक्षण गृह, लेबर मार्केट आदि स्थानों पर चलाया गया।
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि जिले की कुल आबादी की 20 फीसद आबादी को आच्छादित करते हुए शहरी एवं ग्रामीण बस्ती तथा हाई रिस्क क्षेत्र में यह अभियान चलाया गया। उन्होंने बताया कि जिले की कुल आबादी 54,58,355 है, इसकी लगभग 20 फीसद यानि 8,95,921 आबादी में यह अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत आशा, आंगनवाड़ी एवं कम्युनिटी वॉलेंटियर की 311 टीमों ने संभावित टीबी रोगियों को खोजने का काम किया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मनोज देशमणि ने बताया कि कुल लक्षित आबादी 8,95,921 में से 8,92,323 लोगों की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें से टीबी से मिलते-जुलते लक्षणों वाले 4,848 लोगों के बलगम के सैंपल लिए गए जिनमें से 105 लोगों को टीबी का धनात्मक पाया गया।
इसके अलावा 74 लोगों को एक्स-रे एवं अन्य जांचों के माध्यम से टीबी का धनात्मक पाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि यह अभियान साल में दो बार चलाया जाता है। इससे पूर्व इसी साल फरवरी एवं मार्च में यह अभियान चला था। जिसमें 161 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई थी। इन सभी 161 टीबी रोगियों का इलाज पूरा भी हो चुका है।
इनसेट —
ऐसे फैलता है टीबी —
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष दीक्षित ने बताया कि टीबी (क्षय रोग) एक घातक संक्रामक रोग है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु वजह से होता है।टीबी (क्षय रोग) आम तौर पर ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं।
यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ये ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है।
इनसेट —
टीबी के लक्षण —
- लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना।
- खांसी के साथ खून का आना।
- छाती में दर्द और सांस का फूलना।
- वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
- शाम को बुखार का आना और ठण्ड लगना।
- रात में पसीना आना।
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