सीतापुर। शहर में अनेकों स्थान पर नकली देशी घी की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। असली देशी घी के नाम पर लोगों को नकली घी बेचे जाने का काला कारोबार किया जा रहा है। पूर्व में भेजे गए देशी घी के नमूने के फेल होने से उसमें मिलावट की पुष्टि भी हुई है। जिससे यह बात कंनर्फ हो गई कि बाजार में देशी घी के नाम पर नकली माल परोसा जा रहा है। जिसे लोग असली समझ कर खा रहे हैं और विभिन्न बीमारियों को न्यौता दे रहे है।
आपको बताते चलें कि दक्षिण भारत के तिरूपति मंदिर में मिलावटी देशी घी से प्रसाद के लडडू बनाए जाने की बात सामने आई है। प्रयोगशाला की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देशी घी में जानवरों की चर्बी तथा मछली का तेल मिला हुआ है। इतना बड़ा मामला जिसने पूरे देश के श्रद्धालुओं की आस्था पर कुठाराघात किया है। इसी क्रम में देखा जाए तो देशी घी के ही नाम पर सीतापुर में मिलावट का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है। बाजारों में खुलेआम देशी घी चाहंे जितना ले लीजिए। खुशबू भी ऐसी आती है कि मानों असली वाला ही देशी घी हो। अब आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि नकली घी को असली देशी घी बनाने में किन-किन केमिकलयुक्त चीजों का प्रयोग किया जाता होगा।
मिलावटी घी की पकड़ सीतापुर में हो भी चुकी है। पूर्व में जबक खाद्य विभाग ने छापा मार कर नमूना भरा था तो एक घी के नमूने में तिल का तेल मिला हुआ पाया गया। विभाग के अभिहित अधिकारी अमित सिंह बताते हैं कि नमूने की जो रिपोर्ट प्रयोगशाला से आई है उसके मुताबिक देशी घी में तिल का तेल मिक्स पाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इसी तरह से चाय की पत्ती के तीन नमूनों की जांच में कलर पाए गए है। खोया में जो फैट मिला है वह असली ना होकर दूसरी किसी वस्तु का है। सभी के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा रही है।
इनसेट – सितंबर में भरे गए 375 नमूने
खाद्य विभाग के अभिहित अधिकारी अमित सिंह बताते हैं कि सर्विलांस द्वारा मक्खन, घी, आटा, ममूनीज, नमकीन, मिठाई, दाल, चना हल्दी, तेल समेत अन्य खाद्य समग्रियों के सितंबर माह में अब तक 375 नमूने संग्रहीत किए गए है। जिन्हें प्राइवेट प्रयोगशाला में भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा मांस, मछली तथा अंडा का नमूना भी लिया गया है। जिन्हें निजी प्रयोगशाला कंपनी के लोग आकर खुद ले गए थे। इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि जिले में जो खाद्य सामग्री बिक रही है वह उच्च क्वालिटी की है या नहीं।