सीतापुर। महोली में पिछले दो साल से भी अधिक समय से इलाके के गांवों में बाघ और तेंदुआ की चहलकदमी से किसान परेशान हैं। आवारा जानवरों से लेकर पालतू पशुओं को बस्ती के बीच जाकर जंगली हिंसक जीवों ने निवाला बनाया है। यही नहीं ग्रामीणों पर भी अटैक किया है। वहीं वन विभाग की कार्रवाई प्रभावित इलाकों में कांबिंग करने और पिंजड़ा लगाने की अधिकतम कार्रवाई तक सिमटकर रह जाती है।
हर बार कांबिग और पिंजड़ा लगाने तक सिमटकर रह जाती है विभाग की कार्रवाई
इसका सबसे गहरा असर खेती किसानी पर पड़ रहा है। महोली तहसील इलाके में कठिना नदी की तलहटी के गांव श्यामजीरा, हर्रैया, फत्तेपुर, चंद्रा, कोल्हौरा, रुस्तमनगर तथा गोमती नदी की तलहटी के गांव ररुआ, कपसा आदि गांवों में जंगली जानवर की चहलकदमी से ग्रामीणों में दहशत है।
करीब दो साल से इलाके में बढ़ी बाघ व तेंदुआ की चहलकदमी से किसानी हो रही चैपट
बीते वर्ष चंद्रा गांव के बीच में एक घर के बाहर बंधी गाय का शिकार बाघ ने किया था। वहीं उसके पहले साल में जंगली जानवर कोल्हौरा गांव में एक किसान पर अटैक किया था। बाघ की आमद से लोगों में खौफ दिख रहा है। किसान खेतों की ओर जाने से डरते हैं। यही नहीं बीते माह श्यामजीरा गांव में रामसनेही के गन्ने के खेत में बाघ ने गोवंश का शिकार किया था। सूचना वन विभाग को मिलने पर अधिकारियों की फौज मौके पर पहुंची और बाघ की खोजबीन की। यही नहीं जंगली जानवर की निगरानी को ड्रोन कैमरा मंगाया गया। लेकिन कैमरे में जंगली जानवर की कोई हलचल तक कैद नहीं हो सकी थी।
बाघमित्र भी रहे असफल
श्यामजीरा गांव में गन्ने के खेत में बाघ होने की सूचना पर एसडीओ लखीमपुर आरएन चैधरी, एसडीओ सीतापुर विकास यादव, मिश्रिख रेंजर दिनेश कुमार, सीतापुर रेंजर सुयश श्रीवास्तव, हरगांव रेंजर बीनू पाल आदि अधिकारियों की फौज जमा हुई थी। यही नहीं इसके पहले तहसील गेट के बाहर किसान संगठन द्वारा किए गए आंदोलन के दौरान पहुंचे डीएफओ ने बाघ मित्र और अन्य विकल्पों के द्वारा बाघ की समस्या से क्षेत्र को निजात दिलाने का आश्वासन दिया था। जो अभी तक झुनझुना ही साबित हुआ है।
खेतों की ओर नहीं जा रहे किसान
प्रभावित गांवों के किसान अब भी जंगली जानवर की दहशत से सुबह व देर शाम खेतों की ओर जाने से गुरेज करते हैं। जिससे उनकी फसलों की सिंचाई व अन्य किसानी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं खेतों की रखवाली के अभाव में आवारा जानवर फसलों को नष्ट कर रहे हैं। जिससे किसानों की आमदमी प्रभावित हुई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं इस मामले में वन क्षेत्र अधिकारी कल्पेश्वर नाथ ने बताया के बीते दस दिन पहले बाघ के निशान इलाके के नेरी गांव में देखे गए थे इसके बाद बाघ की कोई नई लोकेशन नहीं मिली है जबकि वनविभाग लगातार कांबिंग कर रहा हैं और अभी तक क्षेत्र में अलग-अलग जगह पर दो पिंजरे लगे हैं।