- काम को टरकाने में माहिर जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगत रहे गोपालक
- एक वर्ष के इंतजार के बावजूद अब तक गोपालकों को नहीं मिला गोकुल सुपुर्दगी भरण पोषण का पैसा
दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
सकरन-सीतापुर। योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल गौवंश संरक्षण कार्य जिसके तहत अस्थाई गौशालाओं में संरक्षित गौवंश पशुपालकों को 900 रुपये प्रतिमाह (जो अब बढ़ कर 1500 रुपये प्रति माह हो गया है) भरण पोषण की व्यवस्था के साथ दिए गए थे। बड़ी संख्या में पशुपालकों ने गौशालाओं से गौवंश लेकर गोपालन में रुचि दिखाई थी लेकिन जल्दी ही यह पूरी व्यवस्था आला अधिकारियों की लापरवाही का शिकार बनती चली गई।
गोपालकों को कभी भी समय पर पैसा नहीं मिला। एक वर्ष पूर्व गोपालकों को आधा अधूरा पैसा मिला था। इसके बाद से अब उन्हें जिम्मेदारों से पैसा मिलने का केवल आश्वासन ही मिल रहा है। कभी अधिकारियों ने बताया कि पैसा होली पर मिलेगा तो कभी कहा दीपावली पर लेकिन ना तो गोपालकों को होली पर पैसा मिला और ना ही दीपावली पर।
अब जब गोपालकों की बात को कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ तो बड़ी संख्या में गोपालकों ने पैसा मिलने की उम्मीद छोड़कर गौशालाओं से गौपालन के लिए लिये गए गौवंशों को पुनः बेसहारा छोड़ दिया। पूरे सिस्टम की इसी लापरवाही के चलते अब पशुपालक गोपालन में रुचि नहीं ले रहे हैं।
खबर का असर- मानपुर सिकरी गौशाला में संरक्षित गौवंश को ठंड से बचाव के लिए उठाए गए कदम
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में छपी खबर कड़ाके की ठंडक में गौशाला में खुले आसमान के नीचे रखे गए गौवंश की खबर को संज्ञान में लेते हुए जिम्मेदारों ने आनन-फानन में गौशाला में संरक्षित गौवंश को सर्दी से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए। खुले में रखे जा रहे गौवंशों को टीन सेड में जगह मिल गई है।
वहीं आज उनके खाने के लिए चरही में पर्याप्त भूसा भी डाला गया। गौशालाओं में संरक्षित गौवंश के छोटे बछड़ों और कुपोषण से बीमार गौवंशों को कड़ाके की सर्दी से बचाने के लिए पूर्व के वर्षों की तरह टाट के बोरों की झाल की व्यवस्था अब तक नहीं की गयी है। जिससे कमजोर गौवंश और गौवंश के छोटे बछड़ों का सर्दी से बचाव नहीं हो पा रहा है।
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