सीतापुर: राष्ट्रीय किसान मंच व पुलिस के बीच हुई तीखी बहस

सीतापुर। राष्ट्रीय किसान मंच के बैनर तले आज सैकड़ों किसान प्रछर्षन करते हुए ज्ञापन देने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट के अंदर प्रवेश करते ही शहर कोतवाल दलबल के साथ पहुंचे और सभी को गेट पर ही रोक दिया। जब उन्हें आगे नहीं बढ़ना दिया तो किसान वहीं जमीन पर बैठ गए। किसान डीएम से मिलकर उन्हें ज्ञाापन देने की बात कह रहे थे।

इसी दौरान कोतवाल ने उन पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही तो वह भड़क उठे और कहा कि जब तक मुकदमा दर्ज करके किसानों को जेल नहीं भेज दोगे तब तक नहीं हटेंगे। इसके बाद एलआईयू के अधिकारियों के काफी समझाने के बाद ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा तब जाकर मामला शांत हुआ। इस दौरान अधिकारी बाहर निकलने के लिए वाहन सहित खड़े रहे लेकिन जब किसान नहीं हटे तो दूसरे गेट से बाहर चले गए।

आपको बताते चलें कि राष्ट्रीय किसान मंच के बैनर तले आज अनेकों किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उनकी मांग थी कि आपको ज्ञात है और आपके कार्यालय द्वारा प्राप्त सूचना है कि उदाहरण स्वरूप दिये गये दो कोड बंद किए गए इससे यह स्वतः सिद्ध होता है कि गन्ना समिति द्वारा गलत तो किया गया इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि इससे संबंधित समस्त अभिलेखों व अधिकारियों की जाँच की जाये कि उपरोक्त कोडाँ पर कितने का भ्रष्टाचार हुआ एवं दोषियों को निलंबित करके उन पर आर्थिक दण्ड की कार्यवाही की जाए। रामगढ़ गन्ना परिषद में कई मृतकों के नाम पर भी सालों से कोड चल रहे हैं जो कि बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

रामगढ़ गन्ना समिति के सभी कोडों का पुनरीक्षण किया जाये ताकि भोले भाले किसानों का शोषण ना हो व उनका हक उन्हें मिल सके। गन्ना समितियों पर एक ऐसी टीम का गठन हो जो उनके कार्यकलापों पर नजर रखे जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लग सके। जिन अधिकारियों पर किसानों व किसान नेताओं ने आरोप लगाए हैं ।

उन्हें जाँच होने तक उनके पद से हटाया जाये जिससे जाँच में वो अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर पायें। हमारा संगंठन कोई भी ऐसी माँग नहीं रख रहा जो अनुचित हो साथ ही सरकार की और प्रशासन की यह जिम्मेदारी होती है की ऐसी समितियाँ गन्ना माफियाओं के हाथ में न चली जाए जिनका खामियाजा पहले से ही बेहाल किसान को भुगतना पड़े हमारा संगठन किसी भी अनैतिक कार्यों को न करता है और न ही समर्थन करता है, परन्तु किसान हितों में कार्य करने के लिए जो भी जरूरी कदम उठाने की ताकत हमको देश के संविधान ने प्रदान की है हम उसको उठाते रहेंगे।

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