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सीतापुर : कल हुई सीतापुर क्लब की घटना के बाद जिला जज के केबिन में एसपी व उनके सुरक्षाकर्मी के साथ मारपीट मामले में जहाँ 6 अधिवक्ताओ के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है वही 12 अधिवक्त अज्ञात में है। पुलिस ने 2 अधिवक्ताओ को गिरफ्तार कर लिया है। एसपी ने दस अधिवक्ताओ के मान्यता रदद् करने के लिये बार आफ कौंसिल को रिपोर्ट साक्ष्य सहित भेजी हौ। वही अधिवक्ताओ ने आज बैठक कर तीन दिवसीय नो वर्क घोषित किया है। आज कलेक्ट्रेट परिसर में सुरक्षा को लेकर भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया था।
कोर्ट परिसर में वकीलों ने पुलिस अधीक्षक से अभद्रता की। बीच-बचाव कर रहे पीआरओ और हमराह दरोगा को भी नहीं बख्शा गया। दो दरोगाओं की पिटाई की गई। बढ़ते हंगामे के बीच जिला जज की मध्यस्थता में मामला शांत हो सका। एसपी का कहना है कि आरोपी वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसपी प्रभाकर चौधरी का कहना है
आंख अस्पताल चौराहा स्थित सीतापुर क्लब पर अवैध कब्जा हटाने को लेकर बुधवार दोपहर जिलाधिकारी की ओर से निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी शीतल वर्मा के साथ वे भी मौके पर पहुंचे। अतिक्रमण हटाकर संचालक अधिवक्ता ओम प्रकाश गुप्ता और रामपाल सिंह को गिरफ्तार किया गया। मौके से काफी मात्रा में शराब बरामद हुई। इसी के बाद वे मानीटरिंग सेल की मीटिंग में शामिल होने के लिए जिला जज के पास पहुंचे।
एसपी की मानें तो परिसर में ही कुछ वकीलों ने उनके साथ अभद्रता की। उनसे मोबाइल छीनने का प्रयास हुआ। अभद्रता को लेकर जब पीआरओ विनोद मिश्रा और हमराह दरोगा प्रदीप बीचबचाव करने लगे तो उनके साथ मारपीट की गई। इसी के बाद हंगामा बढ़ गया। एएसपी महेन्द्र प्रताप चौहान, कई सर्किल अफसर सहित आसपास के कई थानों की पुलिस बुला ली गई। जिला जज राजेन्द्र प्रसाद ने बीच-बचाव कर किसी तरह विवाद को शांत कराया। एसपी प्रभाकर चौधरी का कहना है कि कुछ वकीलों ने अपने बर्ताव पर माफी मांगी है लेकिन कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उधर बार एसोसिएशन अध्यक्ष हरीश त्रिपाठी से बात की गई तो उनका कहना है कि बार के किसी भी सदस्य ने कोई माफीनामा नहीं दिया है।
प्रशासन अवैध कब्जे को लेकर जो कार्रवाई कर रहा है, उससे उनका कोई मतलब नहीं है। गुस्सा इस बात का है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ पुलिस ने जिस तरह से व्यवहार किया वह गलत था। इसको लेकर गुरुवार को बार में बैठक बुलाई गई है। वकील एक दिन के लिए कार्य से विरत रहेंगे। वे प्रशासन और पुलिस के साथ टकराव नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि मामले का हल आपसी सौहार्द के बीच निकाला जाए।