सकरन-सीतापुर। ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने वाली भारत सरकार की सबसे बड़ी योजना मनरेगा में काम करने वाले पंजीकृत जॉब कार्ड धारक श्रमिकों के साथ ही ग्राम स्तर पर मनरेगा से जुड़े कार्मिकों को बीते 2 माह से किए गए काम का पारिश्रमिक/मानदेय दिवाली त्यौहार पर भी नहीं मिल पाया। ऐसे में मनरेगा से जुड़े श्रमिकोंध्कार्मिकों को घर परिवार की जरूरतों को पूरा करने में तमाम कठिनाई उठानी पड़ी।
दिवाली त्योहार पर बच्चों को नहीं मिल पाये नए कपड़े
मनरेगा कार्मिक रामसहारे यादव, रामचंद्र वर्मा, विशाल पोरवाल, उपेंद्र शुक्ला, सुनीत गुप्ता, अशोक यादव, रीता मिश्रा, रामरक्षपाल यादव, शिव कुमार गुप्ता, विमलेश कुमार, बृजेश कुमार, रेखा वर्मा, सर्वेश कुमार, सुनील कुमार, अनिल कुमार, उत्तम कुमार, रमाकांत, अनिल राज, कमलाकांत आदि के साथ मनरेगा श्रमिक राजाराम, रामप्रकाश, शिवकुमार, कपिल, राजू, रामू, जानकी देवी, कविता देवी, राजकुमारी, सरिता देवी, आशा देवी, शालिंद्री, कमला देवी, सुनीता, माया देवी, हरिपाल, संतोष, मनोहर, बैजनाथ, दिनेश, हरिशंकर, रामलाल, जगन्नाथ, हरिद्वारी, मूलचंद, भरोसे, नीलू, आशादेवी आदि ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि दिवाली त्योहार पर भी उनका बकाया दो माह का पारिश्रमिक/मानदेय का भुगतान नहीं दिया गया है। ऐसे में मनरेगा कार्मिकों के परिवारों की खुशियां दिवाली त्यौहार पर भी अधूरी रह गईं। बच्चे नए कपड़े, मिठाई और आतिशबाजी पाने से वंचित रह गए। अब दिवाली त्यौहार बीते लंबा समय हो चुका है लेकिन उनका बकाया पारिश्रमिक/मानदेय अब तक नहीं मिल पाया है।
मिठाई और आतिशबाजी उनकी खुशियां रह गई अधूरी
इस बारे में अधिकारिक पक्ष लेने के लिए जब सीडीओ तथा डीसी मनरेगा के सीओजी नंबर पर काल की गई तो उन्होंने फोन नहीं रिसीव किया जिससे उनका पक्ष नहीं जाना सका। वहीं इस मामले को लेकर खंड विकास अधिकारी मनरेगा चंद्रभान सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन की ओर से मनरेगा में पैसा उपलब्ध कराए जाने पर संबंधित कार्मिकों को भुगतान कर दिया जाएगा।