सीतापुर । बिसवां में आर्थिक लाभ न दे पाने के कारण बड़ी संख्या में बेसहारा हो चुके गौवंश को गौशालाओं में संरक्षित करने की कवायद लगातार जारी है। तहसील क्षेत्र की प्रत्येक गौशाला में 200 से 300 गौवंश संरक्षित किए गए हैं। गौशालाओं में संरक्षित इन गौवंशीय पशुओं के चारे पानी के लिए सरकार अब तक 30 रुपये की दर से धन मुहैया कराती थी। जो अब बढ़ा कर 50 रुपये कर दिये गए हैं। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गौशालाओं में संरक्षित पशुओं के चारे पानी के लिए मिलने वाला पैसा कभी भी समय से नहीं मिल पाया। ऐसे में गौशाला संचालकों को पशुओं को पर्याप्त चारा पानी उपलब्ध कराने में कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
गौशाला संचालकों का कहना है कि 5 से 6 माह के अंतराल पर मिलता है पैसा
गौशाला संचालकों का कहना है कि सिस्टम की लापरवाही के चलते उन्हें पशुओं के चारे के लिए मिलने वाला पैसा 5 से 6 माह के अंतराल पर मिलता है। ऐसे में पशुओं को पर्याप्त चारा,पानी, नमक,पोषाहार आदि उपलब्ध कराने में समस्या उत्पन्न हो जाती है। यदि यही पैसा एक-एक माह के अंतराल पर मिल जाए तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है। अब तक प्रति गोवंश 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलने वाला पैसा बढ़ कर 50 रूपया हो गया है। जिससे अब गौशाला में संरक्षित पशुओं को पर्याप्त चारा देने में और आसानी हो जाएगी। बस पैसा समय पर मिल जाए तो गौशाला में भूख प्यास से कुपोषित होकर पशुओं की मौत नहीं होगी।
पशुपालकों को 10 माह से नहीं मिली आर्थिक सहायता
पशु पालकों को गौशाला से दिए गए पशुओं के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते पिछले 10 माह से नहीं मिल पाई है। सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता न मिल पाने के कारण तमाम पशुपालकों ने गौशाला से लिए गए पशुओं को पुनः बेसहारा छोड़ दिया है।