सीतापुर: गौवंशों के जीवन पर भारी पड़ रही पशुपालन विभाग की लापरवाही

  • सकरन में पशुपालकों को डेढ़ वर्ष से नहीं मिला गोधन सुपुर्दगी का लाभ
  • योगी सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे पशुपालन विभाग के अधिकारी

सांडा-सीतापुर। योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल बेसहारा गौवंश की सुरक्षा संरक्षण और उनके पेट भरने के लिए चारे पानी की व्यवस्था, जिसके लिए सरकार के निर्देश पर गौशालाओं से पशुपालकों को बड़े पैमाने पर गौवंश पशुपालन के लिए सुपुर्दगी योजना के तहत दिए गए हैं। शासनादेश के अनुसार पशुपालकों को प्रति गौवंश प्रतिमाह 1500 रूपये दिए जाने की व्यवस्था की गई है।

सकरन की अधिकांश गौशालाओं से डेढ़ वर्ष पूर्व बड़ी संख्या में पशुपालकों को उनकी मांग पर गौवंश तो दिए गए थे लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर सरकार की मंशानुरूप काम न करने की कार्यशैली, जिसके कारण डेढ़ वर्ष का लंबा समय बीत जाने के बावजूद गौवंशों के रखरखाव के लिए 1500 रुपए प्रति गौवंश के हिसाब से मिलने वाला पैसा अब तक पशुपालकों को नहीं मिल पाया है। ऐसे में क्षेत्र के अधिकांश पशुपालक गौशालाओं से सुपुर्दगी के माध्यम से लिए गए गौवंश एक बार पुनः बेसहारा छोड़ने का मन बना रहे हैं।

पशुपालक कैलाश, प्यारेलाल, जगन्नाथ, रामनरेश, रामकुमार, दिनेश, सोहन, महेश, राकेश, रामू, रामप्रकाश, धनपाल, राजकुमार, शिवराम, संतोष, महेश आदि ने बताया कि डेढ़ वर्ष पूर्व जब उन्होंने गौशाला से गौपालन के लिए गौवंश लिए थे तब उनसे पशुपालन विभाग के कर्मियों ने बताया था कि उन्हें तीन से चार माह के अंतराल पर पैसा मिलता रहेगा। लेकिन अब जब उन्हें गौवंश लिए हुए डेढ़ वर्ष का लंबा समय बीत चुका है। इसके बावजूद उन्हें एक रुपया भी नहीं मिल पाया है। वहीं जब वह सकरन के पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ राजेश प्रसाद से बात करते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि तुम्हारे कागज जिले पर भेज दिए गए हैं। अब वहां से पैसा क्यों नहीं भेजा जा रहा है इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उनका काम तो केवल पशुओं का इलाज करना है जो वह कर रहे हैं। अब ज्यादा जानकारी चाहिए तो ब्लॉक के बीडीओ साहब से मिलो।

पशुपालकों की समस्या को लेकर जब सकरन के पशु चिकित्साधिकारी डॉ राजेश प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने पशुपालकों को सुपुर्दगी में दिए गए गौवंशों के सभी कागज पूरे कर जिले पर भेज दिए हैं। अब जब वहां से पैसा नहीं आ रहा है तो वह क्या कर सकते हैं। बीडीओ सकरन श्रीश गुप्ता ने बताया कि पशुपालकों को इतने लंबे समय से सुपुर्दगी में लिए गए गौवंशों की देख रेख के लिए मिलने वाला पैसा किस स्तर पर हुई लापरवाही के कारण नहीं मिल पाया है इसकी जांच कराएंगे। वहीं सीवीओ डा. एमपी सिंह से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ धनराशि मिली है जिसे शीघ्र ह पशुपालकों को भेजी जाएगी वहीं जो भी कागज मिले थे उन्हें शासन को भेज दिया गया है।

लापरवाही पशुपालन विभाग की, भुगत रहे गोवंश –

पशुपालन विभाग की लापरवाही के कारण गौशालाओं से गोवंश सुपुर्दगी के कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है। यही कारण है कि पशुपालक गोपालन में रुचि नहीं ले रहे हैं। पशुपालन विभाग न तो गोवंश की नस्ल सुधार कार्यक्रम में रुचि ले रहा है और न ही पशुपालकों को सरकार से मिलने वाला लाभ समय पर दिला पा रहा है। ऐसे में गोवंश सुपुर्दगी योजना में प्रगति नहीं हो पा रही है। परिणाम स्वरुप गौशालाओं में समुचित चारा पानी के अभाव में कुपोषण से गोवंश की मृत्यु दर बढ़ रही है।

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