
सीतापुर। परिक्रमार्थी कोरौना पड़ाव स्थल पर रात्रि विश्राम करने के बाद दूसरे पड़ाव स्थल हरैया की और बढ़ चले। पहला महंत नन्हकू दास ने डंका बजाया और इसी के साथ आस्था का भारी जनसैलाब अगले पड़ाव की ओर बढ़ चला। महन्त के बढ़ते ही हाथी, घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की हर हर महादेव आदि के जयकारों से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। देश के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालु सिर पर अपने सामानों की पोटली लिये इस कदर बढ़ते गये मानों उनमें थकान नाम की कोई चीज नहीं हो और हो भी तो कैसे सन्तों का साथ पाकर वह अपने की धन्य मान रहे है।
अलौकिक छटा बिखेर रहा परिक्रमा का दूसरा पड़ाव
परिक्रमार्थी मंगलवार रात कोरौना पड़ाव पर रात्रि विश्राम कर बुधवार की सुबह पहला आश्रम के महन्त नन्हकू दास के डंका बजाते ही राम नाम का जप करते हुए अगले पड़ाव स्थल हरैया (जनपद हरदोई) पहुँचे। जगह जगह पुलिस पिकेट व सुरक्षा की ब्यवस्था के प्रति सन्त महात्मा संतुष्ट दिखे। परिक्रमार्थियों ने अपना पंडाल लगाकर राम नाम की धुन में रमित हो गये। परिक्रमार्थियों ने आदि गंगा गोमती में स्नान कर कैलाश आश्रम के दर्शन किये और बाबा खबीसनाथ पर शराब चढ़ाकर पूजा अर्चना की।
हर्रैया प्रस्थान करते समय आदि गंगा गोमती में लगाई श्रद्धालुओं ने डुबकी
84 कोशीय परिक्रमा के दूसरे पड़ाव हर्रैया जाते समय श्रद्धालुओ ने आदि गंगा गोमती में डुबकी लगाकर कैलाश आश्रम में स्थित मंदिर में दर्शन कर पूजा अर्चना की वही रास्ते मे भक्तो ने श्रदालुओ के लिए चाय,बिस्किट, पूड़ी सब्जी,सर्बत आदि की व्यवस्था की।
कैलाश आश्रम की पौराणिक मान्यता
1857 की लड़ाई में नानाजी पेशवा द्वारा कैलाश मंदिर का निर्माण कराया गया था। बताते है कि जब अंग्रेजों से नानाजी पेशवा की लड़ाई चल रही थी तो नानाजी पेशवा छुपते छुपाते यहाँ आये थे। तब यहाँ जंगल ज्यादा था, तब उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसे वहाँ के बुजुर्ग नागरिक बताते हैं कि कैलाश आश्रम से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोनिकपुर नाम का स्थान है जो कि हरदोई जिला में आता है। वहाँ के राजा वाणासुर हुआ करते थे। स्कन्दपुराण के अनुसार वो यहाँ कैलाश आश्रम में रोज भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए आया करते थे। उनकी लड़की ऊषा, कृष्ण के पोते अनुरुद्ध की सगाई यही पर हुई थी। ऐसा पुराणों में लिखा है। प्राचीन मान्यता के अनुसार यहाँ पर कोई झूठी कसम नहीं खा सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे महादेव तुरन्त दण्ड देते है।
मान्यता पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं शराब
कैलाश आश्रम में बाबा खबीस नाथ का मंदिर है। जहाँ मान्यता के अनुसार कच्ची शराब चढ़ाई जाती है। स्थानीय लोगों की माने तो यहाँ पर हर मान्यता पूरी होती है। प्राचीन कथा के अनुसार लखनऊ के एक सेठ के लड़के के झूठे केश में फांसी की सजा होनी वाली थी। फिर सेठ ने यहाँ आकर मन्नत मांगी की अगर मेरे लड़के को फाँसी की सजा नहीं हुई तो मैं शराब की नदियां बहा दूँगा। कहते हैं जब न्यायाधीश फैसला लिखने लगा तब अदालत मर बवण्डर आ गया और आकाशवाणी हुई कि लड़के को झूठे केश में न फसाया जाए। जज ने तुरन्त मुकदमा खारिज कर दिया। सेठ लखनऊ से ही शराब चढ़ाता हुआ बाबा खबीस नाथ तक आया था। उसने तब तक दारू चढ़ाई जब तक वह नदी में जाकर नहीं मिल गयी।
दिब्य है हरिक्षेत्र की छटा, गुंजायमान है राम-नाम जप
84 कोसी परिक्रमा के पहले पड़ाव कोरौना से दूसरे पड़ाव हरिक्षेत्र (हरैया) से करीब पांच कि0 मी0 पहले रास्ते में बकछेरवा गांव पड़ता है। यहां गांव के आसपास का वातावरण राम-नाम की ध्वनि से गुंजायमान है। ये जाप आदि गंगा गोमती के किनारे दक्षिण दिशा में स्थित ऐतिहासिक कैलाश आश्रम में हो रहा है। आश्रम के पुजारी के मुताबिक, राम-नाम जाप शुरू हुए 3 वर्ष ब्यतीत हो चुके हैं और ये जाप अगले 14 साल तक अनवरत चलेगा। इस दिव्य अलौकिक राम-नाम जाप के दर्शन परिक्रमार्थियों को करने को मिलेंगे। गांव के बुजुर्ग कैलाश आश्रम के प्राचीन शिव मंदिर के शिवलिग का संबंध द्वापर युग से मानते हैं।
मूंगफली बेंच बनाया था हनुमान मंदिर
हरैया पड़ाव स्थल पर हनुमान मंदिर है। मंदिर के महंत बनवारी दास ने बताया कि गंगादास दास बाबा के शिष्य सियाराम बाबा दूसरे के खेतों से मूंगफली बीन-बीन कर उन्हें बेचकर 50 साल पहले हनुमान जी मंदिर बनवाया था। यहीं पर गुरु गंगादास बाबा ने कुआं बनवाया था। फिलहाल, अब ये हनुमान मंदिर ढह गया है अवशेष बचे हैं।
रास्ते में ये हैं दर्शनीय स्थल
कोरौना से दूसरे पड़ाव हरिक्षेत्र मार्ग में कई पवित्र स्थल हैं। इनमें कुमनेश्वर, मानसरोवर तीर्थ, कोटीश्वर महादेव के दर्शन होते हैं। फिर परिक्रमार्थी कैलाश आश्रम पहुंचते हैं। कैलाशनाथ भगवान शंकर व बाबा खबीश के दर्शन होते हैं। इस स्थान पर ब्रह्मलीन स्वामी पूर्णानंद जी की समाधि है। इनके दर्शन के बाद परिक्रमार्थी गोमती घाट आकर अमर कंटक में स्नान कर हरैया पड़ाव पहुंचकर रात्रि विश्राम करते हैं। यह स्थान हरदोई जनपद में पड़ता है।
आज नगवा कोथावां पहुंचेंगे परिक्रमार्थी
परिक्रमार्थी आज परिक्रमा के तीसरे पड़ाव स्थल नगवा कोथावां पहुँचेगे वह हत्याहरण तीर्थ में स्नान करने के बाद यही रात्रि विश्राम करेंगे। मान्यता है कि हत्याहरण तीर्थ में स्नान करने से जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है।