सीतापुर। शुक्रवार को विकास भवन के सभागार में जल संरक्षण पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्व विद्यालय केंन्द्रीय लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान प्रोफेसर डा. वेंकटेस दत्त तथा रिमोट सेन्सिंग केंन्द्र लखनऊ के वैज्ञानिक आलोक सैनी रहे। इस मौके पर पर्यावरण विज्ञान प्रोफेसर डा. वेंकटेस दत्त ने कहा कि जल संरक्षण के मुख्य स्रोत हमारी नदियां तथा तालाब है। इनसे छेड़छाड़ ना की जाए तो धरती में जल पूरा होना शुरू हो जाएगा। जिला सीतापुर की नदियों तथा तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाए। तालाबों का चिन्हीकरण कर उनका सीमांकन हो तथा जिन नदियों तथा तालाबों पर अवैध कब्जा हैं उन्हें हटवाया जाए।
उन्होंने कहा कि जल है तो कल है”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी निधि बंसल तथा श्रम उपायुक्त जितेन्द्र मिश्रा ने कहा शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है।
जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। वर्तमान में करीब 1600 जलीय प्रजातियां जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं, जबकि विश्व में करीब 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं और साफ पानी के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय है। इस दिशा में अगर त्वरित कदम उठाते हुए सार्थक पहल की जाए तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में रखी जा सकती है, अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतिपूर्ण साबित होंगे। इस मौके पर जिले के वन विभाग, भू संरक्षण, अवर अभियंता, समस्त ब्लाकों के बीडीओ तथा ग्राम विकास अधिकारी आदि मौजूद रहे।