सीतापुर। जिले की 6 नगरपालिका और 5 नगर पंचायतों में शपग्रहण के 60 दिन बीतने के बाद भी नए विकास कार्यों का टोटा बना हुआ है। एक तरफ जहां अध्यक्ष/सभासदों की ताजपोशी हुए आज 2 महीने बीत चुके हैं। इन 2 महीनों में जहां जिले के 11 नगर निकायों में विकास कार्य शुरू हो जाने चाहिए थे वहां अभी हालत ये है कि शासन को 60 दिन बीतने के बावजूद कार्य योजना का प्रस्ताव तक नहीं भेजा जा सका है। एक तरफ जहां शासन की तरफ से जिले के सभी नगर निकायों से 3 बार कार्ययोजना का प्रस्ताव मांगा जा चुका है, पर इन सब बातों से इतर जिम्मेदार कामचलाऊ तरीके से सब मैनेज करने में लगे रहे।
जिले के नगर निकायों में ठप पड़े है विकास कार्य
3 बार प्रशासन द्वारा कार्ययोजना के प्रस्ताव का जवाब न मिलने पर आखिरकार एडीएम रामभरत त्रिपाठी को सख्त होना पड़ा और उनके द्वारा 1 सप्ताह पहले जिले के सभी नगर निकायों को सख्त रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है पर अभी तक इस रिमाइंडर का भी कोई असर नही होता दिख रहा है। जिसके चलते निकायों में नए कार्यों की बात छोडि़ए विकास कार्यों का खाका भी अमली जामें की हकीकत से कोसो दूर लग रहा है। जिसके चलते जिले के सभी नगर निकायों में हाल फिलहाल विकास कार्यों का पहिया जाम ही दिख रहा है।
2 जेई के भरोसे है निकायों की सरकार
जिले के 11 नगर निकायों के लिए जिले में मात्र 2 नियमित जेई ही मौजूद है, इनमें से 1 जेई के पास 3 नगरपालिका व दूसरे जेई के पास 4 नगर निकायों का कार्य है, जबकि 4 नगर निकायों में लोनिवि सहित अन्य विभागों के जेई से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि नियमित जेई जहां ज्यादा वर्कलोड की वजह से रुचि नही ले रहे है वहीं अन्य विभागों के जेई कार्य के प्रति उतना गम्भीर नही हैं।
सीतापुर सदर, मिश्रिख-नैमिषारण्य का है बुरा हाल
जिले के सदर निकाय में जहां शहरवासियों की बेहतरी के लिए कई बेहद जरूरी कार्य होने है वहीं मिश्रिख-नैमिषारण्य निकाय में भी स्थानीय निवासियों व श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए काफी जरूरी कार्यों की लिस्ट अध्यक्ष सहेजे बैठे हुए है पर जेई की महत्वपूर्ण भूमिका के चलते अभी तक कहानी कार्ययोजना भेजने तक भी नही पहुंच सकी है।
क्या कहते है एडीएम राम भरत त्रिपाठी
उपरोक्त प्रकरण के सन्दर्भ में कार्यालय से जानकारी लेंगे। निकायों से मिले स्पष्टीकरण के अनुसार आगे जरूरी कार्यवाही की जाएगी।