सीतापुर: तीन भव्य रथ हुए तैयार, व्यासपीठाधीश करेंगे धर्म की जयजयकार

नैमिषारण्य-सीतापुर। इस बार एक मार्च से प्रारंभ हो रही भक्ति और मुक्ति की 84 कोसीय परिक्रमा कई मायनों में बेहद अनूठी रहने की उम्मीद है। सतयुग से चली आ रही प्राचीन 84 कोसी परिक्रमा इस बार और ज्यादा दिव्य, भव्य और श्रेष्ठ बनने जा रही है। इस पुनीत धर्मयात्रा में कई प्रसिद्ध संत-महंत, महामंडलेश्वर सहित कई दिव्य विभूतियां शामिल होने जा रही हैं। इस कड़ी में अबकी बार 4 वेद, 6 शास्त्र व अष्टादस पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास पीठ के पीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री अपने हजारों अनुयायियों के साथ इस पावन यात्रा में प्रतिभाग करेंगें।

दैनिक भास्कर से वार्ता में व्यासपीठाधीश ने बताया कि पुराणों में इस परिक्रमा का व्यापक महत्व है। हमारा उद्देश्य है कि इस परिक्रमा की महिमा का प्रचार पूरे भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी हो ताकि जिस प्रकार श्रद्धालु वृंदावन, चित्रकूट और अयोध्या की परिक्रमा वर्ष भर करते हैं वैसे ही यहां भी केवल फाल्गुन मास में ही नहीं पूरे वर्ष भर लोग यहां परिक्रमा में पुण्य लाभ के लिए आ सकें। इस यात्रा में हमारी संस्था पुष्टिमार्गीय वल्लभ सत्संग सेवा समिति के द्वारा श्रद्धालुओं के निवास के लिए पंडाल और टेंट सिटी का निर्माण प्रत्येक पड़ाव स्थल पर किया जा रहा है जिसमें श्रद्धालुओं के विश्राम व पूजनपाठ सहित सभी सुविधाओं उपलब्ध रहेंगी।

तीन दिव्य रथों से दिखेगी सतयुग, त्रेतायुग की गौरव गाथा –

वेदव्यास धाम आश्रम में बीते कई दिनों से 3 भव्य रथों की साज सज्जा का कार्य तेजी से चल रहा है। व्यासपीठाधीश प्रतिनिधि रंजीत शास्त्री ने बताया कि इन रथों का निर्माण सहारनपुर में किया गया है। रथों को को रंग बिरंगी आकर्षक झालरों और लाइटों से सजाया जा रहा है। पहले रथ में लोक कल्याण के लिए देहदान करने वाले सृष्टि के सबसे बड़े दानी महर्षि दधीचि का जीवंत विग्रह है वहीं दूसरे रथ में वेद, शास्त्र व पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी विराजित हैं जबकि तीसरे रथ में अवधपति श्रीराम, प्रभु लक्ष्मण, देवी सीता व रामभक्त हनुमान जी के साथ विराजित है।

ज्ञात हो कि नैमिषारण्य अवध क्षेत्र में ही आता है और इस परिक्रमा में श्रद्धालुओं के दल को ‘रामादल’ के नाम से जाना जाता है। परिक्रमा की गौरव गाथा को दर्शाते इन रथों की लंबाई 26 फीट व चौड़ाई 8 फीट है वहीं रथों की ऊंचाई 14 फिट है। व्यासपीठाधीश कहते हैं कि जब ये रथ लाखों श्रद्धालुओं के जयघोष के बीच ग्रामीण और शहरी इलाकों से गुजरेंगे तो आस्था का एक अलग ही नजारा परिक्रमार्थियों व स्थानीय लोगों के मन को लुभाता नजर आएगा।

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