
इमलिया सुल्तानपुर/सीतापुर। इमलिया सुल्तानपुर में क्षेत्र में बीते करीब एक सप्ताह से बाघ के कोई भी नए पगचिन्ह देखने को नहीं मिले हैं जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद बाघ ने अपना ठिकाना बदल लिया है। कई दिनों से नए पगचिन्ह न मिलने से ग्रामीणों ने थोड़ा चैन की साँस ली है।
बताते चलें कि विगत कई महीनों से इमलिया सुल्तानपुर इलाके में बाघ ने अपनी दहशत फैला रखी है इस बीच वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए कई प्रयास भी किए लेकिन बाघ वन विभाग की सभी कोशिशें नाकाम रहीं और बाघ अभी तक वन विभाग की पकड़ से दूर है। हालांकि कुछ दिनों से क्षेत्र में कोई नए पगचिन्ह न मिलने से ग्रामीणों ने फिलहाल राहत की साँस ली है।
मालूम हो कि इमलिया सुल्तानपुर इलाके के विशुनपुर, ढ़ोलई कला, रामविलास पुरवा, हाता, रोजहा, फर्रकपुर सहित अन्य कई गाँवों में बाघ ने करीब चार महीने से अपनी दहशत फैला रखी है। इस बीच बाघ ने कई जानवरों को अपना शिकार भी बनाया जिसके चलते ग्रामीणों का खेती आदि का कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा रहा और ग्रामीण बच्चों सहित अपने- अपने घरों में कैद रहने को मजबूर रहे।
रामविलाशपुरवा गाँव के पश्चिम में गाय को निवाला बनाने के बाद वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए गाँव के पश्चिम नदी के करीब लगे पिंजरे के पास दो अलग- अलग ट्रैप कैमरे भी लगाए लेकिन उन कैमरों में भी बाघ की कोई चहलकदमी कैद न हो सकी।
हालांकि जिसके बाद ग्रामीणों को वहां व उसके आसपास कोई भी नए पगचिन्ह देखने को नहीं मिले हैं जिससे ग्रामीणों ने फिलहाल थोड़ी राहत की साँस ली है। ग्रामीणों का मानना है कि बाघ ने चहलकदमी करते हुए सम्भवतः अपना ठिकाना बदल लिया हो। यदि बाघ ने अपना ठिकाना बदल लिया है तो बाघ का नया ठिकाना कहां है वन विभाग के लिए यह जानना और उसे पकड़ना एक चुनौती होगी।