दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
सीतापुर। महोली के कठिना नदी के समीप बसे गांव में एक बार फिर हिंसक पशु की आमद से ग्रामीणों में दहशत और भय का माहौल बन गया है मामला महोली के चंद्रा गांव का है।
जहां आज सुबह गांव के बाहर कठिना नादी की तलहटी के समीप गांव के ही किसान राजा त्रिवेदी ने बाघ के ताजा पगचिन्ह देखे जिससे राजा भयभीत हो गए पिछले एक माह से बाघ की कोई सुगबुगाहट भी नही मिली नहीं किसी तरह की कोई घटना हिंसक पशु द्वारा की गई वही आज सुबह चंद्रा गांव के एक किसान राजा त्रिवेदी अपने खेतो को देखने गए थे वहां उन्होंने बाघ के पगचिन्ह देखने का दावा किया।
जिसके बाद इसकी सूचना किसान राजा त्रिवेदी द्वारा वन दरोगा संतराम भार्गव को दी बताते चले बीते दो वर्षो से महोली इलाके के कठिना नदी के तलहटी से सटे गांव को बाघ ने अपने आशियाने के लिए सबसे मुफीद जगह बनाली है यहां शिकार कर अपनी भूख शांत करने के लिए बेसहारा और जंगली पशुओं का शिकार आयदिन किया करता है।
हैरत की बात तो यह है की पिछले दो वर्षो से लगाता जिले की कई वन विभाग की टीमें दिनरात पसीना बहाकर भी बाघ की परछाई तक नही पहुंच सकी है वही एक बार ग्रामीणों में बाघ की मौजूदगी से भय का माहौल है पिछले दो वर्षो में बाघ ने दर्जनों पशुओं का शिकार किया है।
यहां तक रिहाइसी इलाको में घुस कर पालतू जानवरों का शिकार कर अपनी भूख को शांत किया है हिंसक पशु को पकड़ने के लिए अलग अलग गावों में पिंजरे भी लगाए गए साथ ही कैमरे से निकरानी भी की गई मगर नतीजा वही ढाक के तीनपात ही रहा बरहाल कुछ भी हो हिंसक पशु बाघ की मौजूदगी किसानों और ग्रामीणों भय का माहौल व्याप्त है।
बॉक्स_ इलाके के किसानों ने बताया की बाघ की मौजूदगी के चलते किसानी प्रभावित हो रही है और मजदूर खेतो में जाने से मना करते है जिसके चलते फसल की जुताई बुवाई काफी हद तक प्रभावित हुई है।
इस मामले में वन क्षेत्राधिकारी केएन भार्गव ने बताया की चंद्रा गांव के निकट बाघ के ताजा पगचिन्ह मिले है पिछले एक माह से बाघ का कोई सुराग नहीं लगा नही किसी प्रकार की कोई घटना हुई है ताजा पगचिन्ह मिलने के बाद वनकर्मियों द्वारा कांबिग कर संभावित ठिकानों पर पिंजरा लगाया जाएगा।
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