
डॉ. नौशाद अली राणा, एसोसिएट जनरल मैनेजर, हमदर्द वेलनेस, हमदर्द लैबोरेट्रीज़ इंडिया
भारत को अक्सर त्योहारों की भूमि कहा जाता है, जहाँ हर महीना किसी न किसी उत्सव की खुशियाँ लेकर आता है। अलग-अलग राज्यों में रीति-रिवाज भले ही अलग हों, लेकिन भोजन हर जगह एक साथ जोड़ने वाला माध्यम है। चाहे दिवाली की मिठाइयाँ हों, ईद पर की जाने वाली शीर खुरमा, या गणेश चतुर्थी के मोदक – ये पकवान परिवारों और समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करते हैं। हालांकि, इन स्वादिष्ट व्यंजनों का अधिक सेवन कभी-कभी पेट की गड़बड़ी और अपच का कारण बन सकता है।
यूनानी चिकित्सा एक प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है। सदियों पुरानी इस चिकित्सा पद्धति का ध्यान रोकथाम और शरीर के आंतरिक संतुलन को बहाल करने पर केंद्रित है, खासतौर पर पाचन तंत्र के स्वास्थ्य पर। पाचन में सहायक जड़ी-बूटियों और डिटॉक्स उपायों के प्रयोग से यूनानी यह सुनिश्चित करता है कि त्योहारों के स्वाद का आनंद बिना किसी पेट दर्द या असंतुलन के लिया जा सके।
यहाँ यूनानी सिद्धांतों पर आधारित सात आसान उपाय दिए गए हैं, जिनसे आप त्योहारों का आनंद जिम्मेदारी से ले सकते हैं –
- हाइड्रेशन और शुद्धिकरण वाले पेय पर ध्यान दें
यूनानी चिकित्सा में शरीर को हाइड्रेटेड रखने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके लिए पानी, नारियल पानी और छाछ जैसे पेय का सेवन करें और अधिक चीनी वाले पेयों से बचें। साथ ही हल्के हर्बल टी जैसे अदरक-दालचीनी चाय को शामिल करें, जो पाचन तंत्र की सफाई में मदद करते हैं। बरसात के मौसम में नीम और चिरायता जैसी जड़ी-बूटियाँ संक्रमण से बचाव और रक्त शुद्धि के लिए उपयोगी मानी जाती हैं। - आंतों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें
यूनानी सिद्धांतों के अनुसार, मौसमी रेशेदार फल जैसे अमरूद, पपीता, नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारा, अंगूर और आम आहार में शामिल करने चाहिए। इनमें हल्के रेचक गुण होते हैं, जो आंतों की सफाई और नियमित मलत्याग में मदद करते हैं। यदि किसी को बार-बार ढीले पेट की शिकायत रहती है, तो उन्हें तैलीय और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए और आंवला, अनार और जामुन जैसे फल शामिल करने चाहिए, जिनमें प्राकृतिक कसैले गुण होते हैं। ईसबगोल की भूसी को दही के साथ लेना भी पाचन को सहज बनाता है और आंतों के कार्य को संतुलित रखता है। - पाचन को रीसेट करने के लिए संयमित उपवास अपनाएँ
उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है, जिससे शरीर का आंतरिक संतुलन बहाल होता है और पाचन बेहतर होता है। यूनानी चिकित्सा में उपवास को पाचन तंत्र की सफाई का प्रभावी तरीका माना गया है। उपवास के दौरान जंक फूड, कार्बोनेटेड ड्रिंक और कैफीनयुक्त पेय से बचना चाहिए, और उपवास न होने वाले समय में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इस दौरान आहार में खजूर, मेवे और गाय का दूध शामिल करने से शरीर को पोषण और ऊर्जा मिलती है। - शरीर में संतुलन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ
यूनानी प्रणाली के अनुसार मजबूत स्वास्थ्य और इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए छह आवश्यक तत्वों का संतुलन जरूरी है — स्वच्छ हवा, पौष्टिक भोजन और पेय, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि, मानसिक सक्रियता, उचित विश्राम, और शरीर से अपशिष्ट का सही निष्कासन। यह संतुलन शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को बनाए रखता है। - भोजन की मात्रा पर नियंत्रण रखें
भारत में त्योहारों के अवसर पर पारंपरिक व्यंजन प्रायः भारी और कैलोरी से भरपूर होते हैं। यूनानी प्रणाली सजग होकर खाने और भोजन की मात्रा नियंत्रित रखने पर जोर देती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो मोटापे, मधुमेह या कमजोर पाचन से जूझ रहे हों। - रात का भोजन हल्का रखें
यूनानी चिकित्सक सलाह देते हैं कि दिन के तीनों भोजन में रात का भोजन सबसे हल्का होना चाहिए। यह मेटाबॉलिज्म को सहारा देता है, वजन नियंत्रित रखता है और थकान कम करता है। त्योहारों के दौरान अपच और गैस से बचने के लिए रात के भोजन में हल्की मात्रा रखें और पारंपरिक मसाले जैसे अजवाइन, सौंफ, जीरा या अदरक शामिल करें, जो गैस और पेट फूलने से राहत देते हैं। - नींद और तनाव प्रबंधन को प्राथमिकता दें
त्योहारों के दौरान अनियमित दिनचर्या के कारण नींद में बाधा आ सकती है, जिससे शरीर और मन दोनों थकान महसूस करते हैं। यूनानी परंपरा के अनुसार, वयस्कों को हर रात 7–8 घंटे की आरामदायक नींद लेनी चाहिए, जिससे शरीर को पुनः ऊर्जा मिल सके और अगला दिन तरोताजा महसूस हो।
त्योहार हमारी ज़िंदगी में खुशियाँ लाते हैं और यूनानी शिक्षा बताती है कि सच्चा स्वास्थ्य संतुलन बनाए रखने में है। इन सरल आदतों को अपनाकर आप उत्सवों का पूरा आनंद ले सकते हैं और अपने स्वास्थ्य की रक्षा भी कर सकते हैं। व्यक्तिगत सलाह के लिए किसी योग्य यूनानी विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें। इस तरह, हर त्योहारिक भोजन आपके लंबे और स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम बन सकता है











