
किशनी/मैनपुरी- क्षेत्र में जुआ और सट्टा एक कारोबार के तौर पर विकसित होता जा रहा है। जिसमें सट्टे की खाईबाडी करने वाले तो मालामाल हो रहे हैं जबकि आम जनता एक के बदले नब्बे कमाने के लालच में बरबाद हुये जा रहे हैं।
इन सटोरियों पर पुलिस चाह कर भी कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है। कस्बे में एक समय चार चार जुये के अड्डे पुलिस की सरपरस्ती में चलाये जाते थे। इसी के साथ कई सटोरिये भी कस्बे के लोगों को लालच देकर अपने जाल में फंसाकर रखते थे। पर अब समय बदल चुका है। जुये का काम बिल्कुल बंद तो नहीं पर अड्डों पर विराम जरूर लग गया है। परन्तु सट्टे पर अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हो सकी है। ऐसा नहीं है कि इस कारोबार से जुडे़ लोगों के बारे में स्थानीय पुलिस को पता नहीं है।
पर सबूतों के अभाव में कुछ प्रख्यात सटोरिये पुलिस से आंख मिचैली का खेल खेल रहे हैं। कुछ सटोरियों के सर पर सत्ता में बैठे मठाधीसों का हाथ होने के कारण भी पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। लोगों का कहना है कि सट्टे की खाईबाड़ी करने वाले लगातार मालामाल होते जा रहे हैं। जबकि दिहाड़ी मजदूर एक के बदले नब्बे कमाने के लालच में और भी गर्त में मिलता जा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस कार्यवाही नहीं करती है। पुलिस कार्यवाही करती है पर वह हमेशा छोटे मोटे सटोरियों पर ही कार्यवाही कर पाती है। अब जरूरत है कि बडे सट्टा किंगों पर सख्त कार्यवाही करने की जिसमें न कोई सिफारिस हो न ही उसका रसूख। पुलिस ऐसी कार्यवाही करे जिसके बाद वह ऐसा कार्य करने की भविष्य में हिम्मत ही न जुटा सके।










