
कानपुर | सीएसए के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के निर्देश के क्रम में आज दलहन वैज्ञानिक डॉ. मनोज कटियार एवं डॉ सर्वेंद्र कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से जायद में मूंग की वैज्ञानिक खेती विषय पर किसानों हेतु एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जायद के अंतर्गत मूंग की खेती लगभग 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जा रही है। प्रदेश में मूंग की औसत उत्पादकता 8 कुंतल प्रति हेक्टेयर से अधिक है। उन्होंने बताया कि मूंग दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ों में राइजोबियम जीवाणु पाया जाता है। जो भूमि की उर्वरा शक्तिको बरकरार रखता है।
डॉ सर्वेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मूंग की प्रजातियां श्वेता,स्वाति,आजाद मूंग -1(KM-2342) किसानों में लोकप्रिय है। इसके अतिरिक्त विराट, सिखा एवं सम्राट प्रजातियां भी किसानों में लोकप्रिय हैं। जो संपूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए संस्तुति है। उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि बुवाई से पूर्व बीज को 2.5 ग्राम थीरम या कार्बेंडाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित एवं राइजोबियम कल्चर से शोधित करके बुवाई करें । उन्होंने कहा कि किसान भाई मूंग की बुवाई हेतु ध्यान रखें कि भूमि में पर्याप्त नमी है। तथा कीट पतंगों का प्रभाव बुवाई के 30 से 40 दिन बाद होता है। किसान भाई मूंग की फसल की निगरानी करते रहे तथा प्रभावी कीटनाशक का छिड़काव करें।