पकडा गया आरोपी बोला, पंप मालिकों से 50 हजार से एक लाख रुपये मिलता था
भास्कर समाचार सेवा
मेरठ। एसटीएफ उप्र को जनपद मेरठ एवं सीमावर्ती जनपद बागपत व हापुड स्थित नायरा पेट्रोल पम्पों में अतिरिक्त मदरबोर्ड लगाकर पेट्राल/डीजल में मिलावट/धोखाधड़ी कर मानक के विपरीत पेट्रोल/डीजल बेचने वाले पम्पों का भण्डाफोड़, पम्प मालिक, तकनीकी मास्टरमाईन्ड को गिरफ्तार करने मेें उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। एटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक बृजेश सिंह ने बताया कि गत 3 नवम्बर को मेरठ के नायरा पट्रोल पंप में अतिरिक्त मदर बोर्ड पट्रोल-डीजल की मिलावट खोरी में पांच पंपों की कार्रवाई के बाद मास्टरमाइड व अन्य आरोपियों को पकडने के लिये संयुक्त टीमों को गठन किया गया था। जिस पर टीम ने सतेन्द्र उर्फ देवेन्द्र कुमार पुत्र हरपाल सिंह निवासी ग्राम लाक शामली हाल निवासी ड्रीम सिटी कंकरखेडा को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ के दौरान देवेन्द्र ने बताया कि उसने शामली से 2004 में बीएससी की है। दो तीन साल तक जब नौकरी नहीं मिली तो वह दिल्ली जाकर अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों में सलाहकार के रूप में नौकरी की। उसने बताया इस दौरान भंगेल नोएडा में किराए के मकान में रहता था। उसी बिल्डिंग में बु.शहर निवासी महिपाल मिला जो मिडको कंपनी में नौकरी करता था। जो पेट्रोल पंप मशीन की मशील सर्विसिंग आदि का काम करता था। उसी ने ही पेट्रोल पंप पर टैंक पाइप लाइन का काम सीखने की सलाह दी और अपने साथ एक दो साइट पर ले गया। कुछ दिन बाद वह टैंक पाइप लाइन का काम करने लगा। और धीरे-धीरे पाइप लाइन के साथ-साथ मशीन के हैंगिंग हार्डवेयर (जो पार्ट मशीन के बाहर होते हैं जैसे नोजल, सिविल ज्वाइंट, होज पाईप आदि) के साथ-साथ अन्य तकनीकी काम करने लगा।
वर्ष-2017 तक दिल्ली के पेट्रोल पम्पों पर संविदा पर रिपेरिंग का काम किया। वर्ष-2018 में दिल्ली छोडकर वह यूपी आ गया तथा और प्राईवेट पेट्रोल पम्पों पर कार्य करने लगा। वर्ष-2017 में जब एसटीएफ ने पेट्रोल पम्पोंं पर चिप सिस्टम से धोखाधड़ी करने वाले पम्पों को पकडा था, तब उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए आर्डर पास किया था कि मशीनों में लगे पल्सर यूनिट पोटेड (कवर्ड/इन्टेक्ट) होनी चाहिए।जिसकी वजह से सभी कंपनियों ने पुरानी मशीन निकाल दी या फिर कुछ जगह अनपोटेड की जगह पोटेड पल्सर लगवा दी। वर्ष-2019 में पेट्रोल पंपों पर नई मशीन आ गयी और पुरानी मशीनों को स्क्रेपर्स ने खरीद लिया। वर्ष-2019 में उसे पता चला कि पुरानी मशीने स्क्रैप विक्रेताओं के पास है तो उसने मदर बोर्ड एवं अन्य उपकरण इनसे खरीद कर इन्हीं उपकरणों के माध्यम से जीबीआर (गिलबारको) कम्पनी के फि टर/ मकेनिक और पेट्रोल पम्प के मालिकों से मिलीभगत कर आटोमेशन सिस्टम एवं मदरबोर्ड में छेड़छाड़ कर मिलावटी डीजल/पेट्रोल बेचने का काम करते थे। इस मशीनों में बदलाव के एवज में उसे पम्प मालिकों से 50 से 1 लाख तक मिलता था। उन्होंने बताया पकडे गये देवेन्द्र के साथ मिलीभगत में शामिल पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।