सुल्तानपुर। लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों, संगठन को मजबूती व विस्तार देने में भारतीय चमार महासभा मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई है। बसपा की तरह ही वह भी राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग पर दांव आजमाने की रणनीति पर फोकस कर रही है। उसका मकसद सिर्फ किसी को शिकस्त देना ही नहीं है, बल्कि प्रदेश की प्रमुख दल बहुजन समाज पार्टी को चारों खाने चित करने पर है। इसके लिए भारतीय चमार महासभा की नजर दलित पॉलिटिक्स पर है। आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर के फेल हो जाने के कारण भारतीय चमार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राणा चमार इस रणनीति को अमलीजामा पहनाना चाहते हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बनाई खास रणनीति
भारतीय चमार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राणा चमार ने दैनिक ‘भास्कर’ से बात करते हुए कहा कि भारतीय चमार महासभा मिशन 2024 में फतेह के लिए पिछली गलतियों से सबक सीखते हुए पुख्ता तैयारी के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद और बसपा सुप्रीमो मायावती के फेल हो जाने और दलित समाज की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाने के कारण सपा के धुर विरोधी लोग भी अब पूरे दम खम से उनसे जुड़ रहे हैं। विजय राणा चमार ने कहा कि दलित समाज में इस बात को लेकर काफी मलाल है कि हाल ही में संपन्न हुए उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर का साथ मिला था और बसपा ने इससे दूरी बनाए रखी थी।
उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव, चंद्रशेखर की पार्टी के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था, फिर भी वे सपा के इर्द गिर्द घूमते रहते हैं। लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, मायावती के खिलाफ दलित समाज में सेंध लगाने के लिए दलितों के खिलाफ एक हथियार के तौर पर चंद्रशेखर का इस्तेमाल करना चाहते हैं। चंद्रशेखर भी दलितों का नेतृत्व नहीं कर पा रहे हैं और न ही वे दलितों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोई कोशिश ही कर रहे हैं। विजय राणा चमार ने कहा कि भारतीय चमार महासभा की अगले वर्षं होने वाले लोकसभा चुनाव में बहुत अहम भूमिका होगी। जिसके लिए युद्ध स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैयार किया जा रहा है।