सुलतानपुर । जी हां, साल 2017 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव ने सुल्तानपुर की जिस सदर विधानसभा सीट से यूपी चुनाव का शंखनाद किया था मोदी ने 2022 का चुनावी बिगुल यही से फूंका। अखिलेश ने ऐसा इसलिए किया था कि इस सीट के लिए टोटका है कि यहां से जिस पार्टी का विधायक जीता सूबे में सत्ता उसी की होती है। हालांकि अखिलेश की यह स्ट्रैटजी बुरी तरह फेल हुई। ऐसे में अहम सवाल है जहां पांच साल पहले अखिलेश फेल हुए थे वहां क्या पीएम मोदी आज फर्स्ट क्लास पास हो गए और यहां के भाजपा प्रत्याशी राज प्रसाद उपाध्याय ने जीत हासिल कर यह जता दिया है कि यहां से जिसकी जीत हुई सरकार उसी पार्टी की बनी ।
24 जनवरी 2017 को हुई थी अखिलेश की सभा
24 जनवरी 2017 को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सुल्तानपुर की सदर (जयसिंहपुर) विधानसभा क्षेत्र के लपटा गांव में विशाल रैली कर यूपी चुनाव का आगाज किया था। इसी दिन लपटा के बाद अखिलेश सुल्तानपुर के कुड़वार ब्लॉक स्थित सूरजनगर में एक रैली को संबोधित किया था। कहा गया था कि अखिलेश ने इसलिए सदर विधानसभा सीट को चुना था कि इस सीट का इतिहास है कि यहां से विधायक जिस दल का चुना जाता है उसी दल की यूपी में सत्ता होती है। आपको बता दें कि 2017 में भी सुल्तानपुर में चुनाव 27 फरवरी को पांचवें चरण में हुआ था।
16 नवंबर को पीएम ने किया था रैली
अब जब 2022 का चुनाव आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 नवंबर को सुल्तानपुर की इसी सदर विधानसभा क्षेत्र के अरवल कीरी स्थित एयर स्ट्रिप पर पहुंचे थे। यहां उन्होंने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण कर एक बड़े जनसैलाब को संबोधित करते हुए यूपी चुनाव का बिगुल फूंका था। इसके बाद पीएम ने ताबड़तोड़ 13 रैलियां करके पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक सूबे को कवर किया था। बता दें कि 2012 विधानसभा चुनाव से पहले यह विधानसभा क्षेत्र जयसिंहपुर के नाम से जाना जाता था। 2012 के विधानसभा चुनाव में जयसिंहपुर का नाम बदलकर सदर कर दिया गया। उस समय लोग यही कयास लगा रहे थे कि अबकी बार नाम बदला है तो शायद इतिहास भी बदल जाएगा, लेकिन 2012 के चुनाव में सदर सीट पर सपा के टिकट पर चुनाव लड़े अरुण वर्मा विधायक चुने गए और सपा की सरकार बन गई। पुराना इतिहास कायम रहा। सदर सीट पर इस बार दो चुनावों में बसपा से रनर रहे राज प्रसाद उपाध्याय निषाद पार्टी से मैदान में आए और उन्होंने भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा। उनके मुकाबले पर 2012 में अखिलेश सरकार में सबसे कम उम्र के विधायक चुनकर गए अरुण वर्मा थे। अरुण वर्मा 2017 में सपा से मैदान में थे और उन्हें तीसरा स्थान मिला था। इनके अलावा बसपा सरकार में दो बार मंत्री रहे ओपी सिंह पूरे एक दशक बाद फिर मैदान में उतरे थे। जबकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अभिषेक सिंह राणा ने पहली बार विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया है। 2017 की मोदी लहर में यहां जीत का परचम लहराने वाले विधायक सीताराम वर्मा को भाजपा ने इस चुनाव में लंभुआ सीट पर शिफ्ट किया था।
58.89 प्रतिशत हुआ है मतदान
गौरतलब हो कि सदर सीट पर कुल 343687 मतदाता हैं। इनमें 178115 पुरुष तो 165559 महिला मतदाता हैं। 13 अन्य मतदाता भी इस सीट पर हैं। पांचवें चरण में 27 फरवरी को हुए चुनाव में कुल 202390 मत पड़े। जिसमें 105141 महिलाओं और 97248 पुरुषों ने वोट किए हैं। अन्य में से केवल 1 वोट ही पड़ा है। आज जब यहां मतगणना होगी तो उसके लिए 14 टेबल लगाए गए हैं। सदर सीट पर कुल 420 बूथ हैं जिसकी गिनती 30 राउंड में होगी।
सदर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
1952 में कांग्रेस से नाजिम अली विधायक- कांग्रेस की सरकार
1957 में मो.समी कांग्रेस से विधायक -कांग्रेस की सरकार
1962 में रमाकांत सिंह कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1967 में श्रीपति मिश्र कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1969 में शिव कुमार पाण्डेय कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1974 में शिव कुमार पाण्डेय कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1977 में मकबूल खान जनता पार्टी से विधायक- जनता पार्टी की सरकार
1979 में रामलखन दूबे कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1980 में देवेंद्र पाण्डेय-कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1985 में देवेंद्र पाण्डेय कांग्रेस से विधायक- कांग्रेस की सरकार
1989 में सूर्यभान सिंह जनता दल से विधायक- जनता दल की सरकार
1991 में अर्जुन सिंह भाजपा से विधायक- भाजपा की सरकार
1993 में अब्दुल रईस सपा से विधायक- सपा की सरकार
1996 में राम रतन यादव बसपा से विधायक- बसपा की सरकार
2002 में ओपी. सिंह बसपा से विधायक- बसपा की सरकार
2007 में ओ.पी. सिंह बसपा से विधायक- बसपा की सरकार
2012 में अरुण वर्मा सपा से विधायक- सपा की सरकार
2017 में सीताराम वर्मा भाजपा से विधायक- भाजपा की सरकार
2022 में राज प्रसाद उपाध्याय भाजपा ने जीत हासिल की ।