सुल्तानपुर । गंगा दशहरा के अवसर पर गुरुवार को जनपद के प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल धोपाप क्षेत्र पहुँचने वाले दर्शनार्थियों का रेला बुधवार को शाम से ही देखा गया। देश के कोने-कोने के अलावा पड़ोस के जनपद प्रतापगढ़ व जौनपुर सहित अन्य जनपदों से बड़ी संख्या में लोग बुधवार शाम से तीर्थराज धोपाप की ओर निकल पड़े थे। चांदा चैराहे से धोपाप के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जाते हुए देखे गये। पौराणिक ग्रन्थों में गंगा दशहरा को धोपाप स्नान दान का बड़ा महात्म्य है।
देश के कोने-कोने से स्नान के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालु
पौराणिक कथाओं के अनुसार लंका विजय के बाद भगवान श्री राम जब अयोध्या जाते हुए सप्त ऋषियों के सुझाव पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए पावन गोमती नदी के इसी तट पर स्नान किया था। इसी स्थान पर गोमती नदी के पावन घाट पर डुबकी लगाने के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या पाप से मुक्ति मिली थी। तब से ही यह स्थल धोपाप के नाम से जाना जाने लगा है। ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को यहां बड़ी संख्या में लोग स्नान दान कर पाप मुक्ति और पुण्य अर्जित करने की अभिलाषा में पहुंचते हैं।
त्रेतायुग से है धोपाप का पौराणिक महत्व सुल्तानपुर
पहले तो लोग पैदल यात्रा करते थे और रास्ते में उनके स्वागत के लिए ग्रामीण बड़ी संख्या में जल जलपान की व्यवस्था भी करते थे। लेकिन अभी समय बदला है। तीर्थ स्थल धोपाप तक पहुंचने का चारों तरफ से रास्ता सुगम हो गया है। कादीपुर बरूवारीपुर घाट हो, दियरा घाट हो, पुल बन गया है। लम्भुआ के अलावा चांदा से तीर्थराज धोपाप तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें बन गई है। ऐसे में अब लोग साधनों से वहां पहुंच रहे हैं। जहां लाखों लोगों ने आदि गंगा गोमती में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।