सुलतानपुर। दस वर्ष पूर्व मृत हुए सफाई कर्मी की पत्नी को मृतक आश्रित नौकरी दिलाने के नाम पर शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर करने समेत अन्य गम्भीर आरोपो से घिरे डीपीआरओ एवं उसके खेल में शामिल अन्य आरोपियों के खिलाफ स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट इंतेखाब आलम की अदालत ने संज्ञान लिया है।
जज इंतेखाब आलम ने मामले में लिया संज्ञान
मामले में अदालत ने अभियोगिनी की अर्जी स्वीकार करते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच के लिए नगर कोतवाल को आदेशित किया है। अदालत ने बिना अनावश्यक विलंब के विवेचना के परिणाम से भी अवगत कराने का आदेश जारी किया है।
मामला कोतवाली नगर क्षेत्र स्थित मलिन बस्ती नया नगर इलाके से जुड़ा है। जहां की रहने वाली एक महिला ने स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट की अदालत में अर्जी दी। जिसमें दर्शाये गये आरोप के मुताबिक उसके पति अमृतलाल सफाई कर्मी के पद पर कार्यरत रहे। जिनकी 20 अप्रैल 2012 को दुर्भाग्यवश मृत्यु हो गई। आरोप के मुताबिक अमृतलाल की मृत्यु के बाद अभियोगिनी एवं उसका इकलौता पुत्र ही उनके वारिस एवं विधिक उत्तराधिकारी रहे।
पीडि़त महिला का आरोप है कि अमृतलाल की मृत्यु के पश्चात मृतक आश्रित नौकरी व अन्य सेवायोजन का लाभ देने की मांग को लेकर बार-बार सम्बंधित अफसरों को अर्जी दी जाती रही। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के पल्ले पीडि़त महिला की बात नहीं पड़ी और वह उसे उसका हक देने से वंचित रखे रहे एवं लगातार टाल-मटोल करते रहे। जिम्मेदार अधिकारियों का काफी समय तक यह सिलसिला लगातार जारी होने एवं लगातार आश्वासन देते रहने के बाद भी सुनवाई न होने पर वर्ष 2021 में अभियोगिनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
अभियोगिनी के मुताबिक हाईकोर्ट ने पीडि़त महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए एक माह के अंदर विधि सम्मत समायोजन करने के संबंध में विचार करने हेतु डीपीआरओ को निर्देशित किया। आरोप है कि हाईकोर्ट के इस आदेश के क्रम में अभियोगिनी ने बीते 16 अक्टूबर को एक प्रार्थना पत्र दिया, किंतु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। आरोप के मुताबिक बीते 10 नवंबर की शाम लगभग नौ बजे डीपीआरओ ने लक्ष्मणपुर चैकी के पास स्थित अपने आवास पर अपने सहयोगियो की मदद से संदेश देकर पीडि़त महिला को अकेले बुलवाया।
जिस पर अभियोगिनी डीपीआरओ राधाकृष्ण भारती के आवास पर पहुंची तो वहां डीपीआरओ ने उसे कमरे में बुलाकर अकेला पाकर हाथ पकड़ कर नौकरी पाने के लिए पैसा न दे पाने की दशा में शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर किया। जिसे सुनकर अभियोगिनी ने अपनी इज्जत का सौदा नौकरी से करने की बात पर इंकार कर दिया तो डीपीआरओ उसका हाथ पकड़कर बेडरूम में ले जाने लगे।
पीडि़ता का कहना है कि किसी तरीके से वह अपनी इज्जत बचाकर वहां से भागी, जिस पर डीपीआरओ काफी नाराज भी हो गए। यहां तक कि पीडि़त महिला को जातिसूचक अपशब्द कहने और नौकरी न मिलने देने की धमकी भी देने की बात अर्जी में कही गई है। मामले में स्पेशल जज इंतेखाब आलम की अदालत ने अभियोगिनी के अधिवक्ता की बहस को सुनने के पश्चात संज्ञान लेते हुए आरोपी डीपीआरओ राधाकृष्ण भारती (गिरी), सह आरोपी बाबू अरविंद वर्मा, सुदामा एवं अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच के लिए नगर कोतवाल को आदेशित किया है।
वहीं अदालत ने बिना किसी अनावश्यक विलंब के विवेचना के परिणाम से भी कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश जारी किया है। अदालत के इस आदेश से डीपीआरओ एवं अन्य आरोपियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।