नई दिल्ली। लंबे समय तक चर्चा का विषय रहे आधार कार्ड की वैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है, इस पर हमला संविधान के खिलाफ है। कोर्ट ने आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए निजता का अधिकार को ध्यान में रखते हुए साफ तौर पर कहा कि मोबाइल कंपनियों में आधार कार्ड को देना जरूरी नहीं होगा। वहीं स्कूल और कॉलेजों में एडमिशन के लिए भी आधार जरूरी नहीं होगा। अदालत ने बैंक एकाउंट से भी आधार को जोड़ना गैरसंविधानिक बताया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं हैं। वहीं वेलफेयर स्कीम से इसे जोड़ा जा सकता है।
जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है। आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। अदालत ने कहा कि आधार ने समाज के वंचित तबकों को सशक्त किया है और उन्हें एक पहचान दी है।
बता दें कि आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली 27 याचिकाओं पर करीब चार महीने तक बहस चली थी। मैराथन बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आइए 10 प्वाइंट्स में जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा-
- आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि ‘सर्वोत्तम होने से अच्छा है कि आप अनूठे हो जाइए’।
- जस्टिस सीकरी ने कहा-आधार समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों को सशक्त बनाता है। यह उन्हें एक पहचान देता है। यह अन्य आईडी प्रूफ से अलग है और इसकी दूसरी कॉपी नहीं बनाई जा सकती।
- आधार नामांकन के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की तरफ से नागरिकों का थोड़ा डेमोग्राफिक एवं बॉयोमेट्रिक डाटा जुटाया गया। व्यक्ति को दिया गया आधार नंबर अनूठा है और यह किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह लोगों के आधार को सुरक्षित बनाने के लिए और कड़ा कानून बनाए। कोर्ट ने कहा कि ‘शिक्षा से हम अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर की तरफ बढ़े लेकिन तकनीक हमें फिर से हस्ताक्षर से अंगूठे के निशान की तरफ ले गई है।’
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल बच्चों के दाखिले के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता। स्कूल में छह से 14 साल के बच्चों के दाखिले में आधार जरूरी नहीं होगा।
- शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अवैध प्रवासी आधार कार्ड न बनवा पाएं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी मोबाइल कंपनी अपनी सेवा देने के लिए आधार की मांग नहीं कर सकती। यह एक बड़ा फैसला है क्योंकि ज्यादातर मोबाइल कंपनियां अपनी सेवा देने के लिए लोगों से आधार कार्ड की मांग करती हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से आधार लिंक करना जरूरी नहीं है। जबकि पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने कहा कि बैंक अकाउंट खोलने के लिए आधार जरूरी नहीं। कोर्ट की इजाजत के बिना बॉयोमेट्रिक डाटा किसी एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता।
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट के सेक्शन 57 को निरस्त कर दिया है। यह सेक्शन रद्द हो जाने से अब निजी कंपनियां लोगों से उनका आधार कार्ड नहीं मांग सकेंगी।
- आधार कार्ड यूजीसी, एनईईटी और सीबीएसई की परीक्षा के लिए अनिवार्य नहीं होगा। निजी कंपनियां आधार कार्ड नहीं मांग सकतीं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है।