नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों की बिक्री को लेकर बड़ा फैसला किया है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, कोर्ट ने कहा कि देशभर में 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज (बीएस) 4 श्रेणी के वाहनों की बिक्री पर पाबंदी होगी. कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर ये होगा कि प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरण को हो रहा नुकसान कम होगा, वहीं कार चलाने और नई कार खरीदने वालों दोनों के लिए बुरी खबर है, क्योंकि कारों के दाम बढ़ जाएंगे.
No Bharat Stage-IV (BS-IV) vehicle will be sold and registered across the country after 1st April, 2020: Supreme Court pic.twitter.com/IGCKMrdKqn
— ANI (@ANI) October 24, 2018
बता दें कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने साल 2016 में घोषणा की थी कि वह बीएस 5 मानक के बजाय 2020 तक पूरे देश बीएस 6 मानक लागू करेंगे हालांकि राजधानी दिल्ली में बीएस 6 वाहनों को अप्रैल 2020 के बजाय अप्रैल 2018 में ही लागू किया जाएगा. भारत में बीएस-4 नॉर्म्स आने के बाद कारों के दाम भी बढ़ सकते हैं. यहां तक माना जा रहा है कि कारों की कीमतों में 1-1.5 लाख रुपये तक का इजाफा हो सकता है. हालांकि सिर्फ इस आधार पर कारों के दाम नहीं बढ़ेंगे क्योंकि एक्सचेंज रेट, कोयले के दाम और शिपिंग कीमतों जैसे कारकों पर भी कारों की कीमतें निर्धारित होती हैं.
दरअसल, बीएस-4 के आने के बाद कार कंपनियों को नए ईंधन के उपयोग करने के चलते कार पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा. माना जाता है कि पर्यावरण के नए मानक आने के बाद कोयले से चलने वाले पावर प्लांट की बिजली के दाम 40-50 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ सकते हैं और वहीं गाड़ियों का फ्यूल 70 पैसे प्रति लीटर महंगा हो सकता है.
क्या है बीएस के आगे लिखी संख्या का अर्थ
अक्सर आप सुनते होंगे बीएस-2 वाहन, बीएस-3 वाहन और बीएस-4 वाहन। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन संख्याओं का मतलब क्या है? बीएस के आगे संख्या के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। भारत में गाड़ियों के प्रदूषण को मापने के लिए बीएस का इस्तेमाल किया जाता है। बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है। ये बीएस मानक देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है। साथ ही देश में चलने वाली हर गाड़ी के लिए यह आवश्यक होता है कि वह इन सभी मानकों पर खरी उतरे।
अब देश में बीएस-6 पर भी चर्चा हो रही है। भारत में शुरुआत हुई थी बीएस-2 से। इसके बाद बीएस-4 का इस्तेमाल किया जाने लगा। जब बीएस-4 इंजन का प्रयोग शुरू हुआ, तब कहा गया था कि बीएस-3 मानक के मुकाबले बीएस-4 मानक वाले इंजन उत्सर्जन में भारी कमी लाएंगे। यानि ये माना गया था कि बीएस-3 मानक वाले इंजन के मुकाबले बीएस-4 वाले इंजनों का इस्तेमाल सुरक्षित है। लेकिन अब इनकी बिक्री भी एक अप्रैल 2020 के बाद से नहीं हो सकेगी। न ही इस इस मानक के वाहन पंजीकृत होंगे। इसके पीछे का कारण है कि भारत सरकार ने बीएस-5 मानक को पीछे छोड़ते हुए साल 2020 तक बीएस-6 स्टैंडर्ड लागू करने का फैसला किया है। ताकि प्रदूषण को और कम किया जा सके।