दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 के एक फैसले में दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित किया था। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
नई दिल्ली: दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया कौन होगा? इसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के कामों का बंटवारा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कई टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया है लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार ही अहम है। यानी अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के लिए कोई भी फैसला करने से पहले एलजी की सहमती लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि कोर्ट ने भी साफ किया है कि कैबिनेट के हर फैसले की जानकारी LG को होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और LG को एक साथ तालमेल बिठा कर सरकार चलाने का सुझाव भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ अलग-अलग फैसला पढ़ा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सबसे पहले अपना फैसला पढ़ा। फिर बहुमत के आधार पर अंतिम फैसला सुनाया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 के एक फैसले में दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित किया था। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की इस अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है।
LIVE UPDATE:
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फैसले का स्वागत किया है।
https://www.facebook.com/AamAadmiParty/videos/1551532701613151/
– न्यायपालिका ने लोकतंत्र के स्तम्भ को मजबूत किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया देश आम आदमी के वोट से चलेगा। लाड साहेब के डंडे से नहींं: संजय सिंह( आप, राज्य सभा सांसद)
– न्यायपालिका ने लोकतंत्र के स्तम्भ को मजबूत किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया देश आम आदमी के वोट से चलेगा। लाड साहेब के डंडे से नहींं: संजय सिंह( आप, राज्य सभा सांसद)
न्यायपालिका ने लोकतंत्र के स्तम्भ को मजबूत किया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया देश आम आदमी के वोट से चलेगा लाट साहेब के डंडे से नही।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 4, 2018
– दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार और एलजी अब अपने आपसी मतभेद को भुलाकर दिल्ली की जनता के लिए काम करेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी स्वागत किया है।
– मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है, वह बहुत स्पष्ट है। संविधान के अनुच्छेद 23 9 (एए) के अनुसार, दिल्ली एक राज्य नहीं है, यह एक UT है। अगर दिल्ली सरकार और एलजी एक साथ काम नहीं करते हैं तो दिल्ली को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस ने 15 साल तक दिल्ली पर शासन किया, तब कोई संघर्ष नहीं हुआ: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
I think what SC has said is very clear. As per Article 239 (AA) of the Constitution, Delhi is not a state,it is a UT.If Delhi Govt&LG don't work together then Delhi will face problems. Congress ruled Delhi for 15 years, no conflict took place then: Sheila Dikshit, Former Delhi CM pic.twitter.com/UhRLmovOKN
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह एक अच्छा फैसला है। एलजी और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना है, हमेशा टकराव नहीं हो सकता है। लोकतंत्र के लिए दैनिक squabbles अच्छा नहीं हैं। मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूं: भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोलि सोराबजी
Its a good verdict by Supreme Court. LG and Delhi Govt have to work harmoniously,can't always have confrontation. Daily squabbles are not good for democracy. I welcome the decision: Soli Sorabjee,former Attorney General of India pic.twitter.com/pmeMyoNUnR
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– एलजी के पास मनमानी का पावर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है : मनीष सिसोदिया
Its a landmark judgement by Supreme Court. Now Delhi Govt will not have to send their files to LG for approval, now work will not be stalled. I thank the SC, its a big win for democracy Manish Sisodia,Delhi Deputy Chief Minister pic.twitter.com/U2Pa3jDkSz
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘यह दिल्ली के लोगों और लोकतंत्र की एक बड़ी जीत है।’
A big victory for the people of Delhi…a big victory for democracy…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 4, 2018
– सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को माना दिल्ली का ‘बॉस, चुनी हई सरकार है अहम।
– कैबिनेट के हर फैसले की जानकारी LG को होनी चाहिए- सुप्रीम कोर्ट
– जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली सरकार को हर फैसले में एलजी की सहमति लेने की जरूरत नहीं है।
– LG सारे मामले राष्ट्रपति को नहीं भेजेंगे- सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court says 'Lt Governor cannot refer all matters to the President.' Also adds 'Delhi cannot have full statehood in view of an earlier nine-judge judgment.'
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– दिल्ली के सीएम और एलजी के अधिकारों पर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने एक तरह से शर्तों के साथ दिल्ली का बॉस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माना है।
– सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जनमत के साथ अगर सरकार का गठन हुआ है, तो उसका अपना महत्व है। तीन जजों ने कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह से काम करना चाहिए।
Centre and Delhi Government power tussle matter in Supreme Court: Chief Justice of India Dipak Misra says 'LG cannot act independently unless where the Constitution allows. LG cannot be an obstructionist.'
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– केजरीवाल और एलजी के अधिकारों सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एलजी दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करें।
– सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनी हुई सरकार के काम में एलजी बाधा नहीं डाल सकते।
Centre and Delhi Government power tussle matter in Supreme Court: Chief Justice of India Dipak Misra says 'The LG must work harmoniously with the state, the LG and council of ministers have to be constantly aligned.'
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा हर मामले में एलजी की इजाजत की जरूरत नहीं।
– एलजी कैबिनेट की सलाह से काम करें: सुप्रीम कोर्ट
Centre and Delhi Government power tussle matter in Supreme Court: Chief Justice of India Dipak Misra says 'Obeying the constitution is everybody's duty and responsibility'
— ANI (@ANI) July 4, 2018
– संसद का कानून सर्वोच्च है: सुप्रीम कोर्ट
– चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा एलजी ही दिल्ली के प्रसाशक हैं ।
– सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा जनमत का महत्व है।
– चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य ही सर्वोच्च है।
– सरकार जनता के लिए उपलब्ध होनी चाहिए: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट
– कैबिनेट संसद के प्रति जवाबदेह है: सुप्रीम कोर्ट
– सुनवाई के दौरान कहा कि शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट ने
– LG पूरी स्वतंत्र नहीं- सुप्रीम कोर्ट
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को इन अपीलों पर सुनवाई शुरू की थी जो छह दिसंबर, 2017 को पूरी हुयी थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर , न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं।
आम आदमी पार्टी सरकार ने संविधान पीठ के समक्ष दलील दी थी कि उसके पास विधायी और कार्यपालिका दोनों के ही अधिकार हैं। उसने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास कोई भी कानून बनाने की विधायी शक्ति है जबकि बनाये गये कानूनों को लागू करने के लिये उसके पास कार्यपालिका के अधिकार हैं।
दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘अगर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली को राज्य का दर्जा दे दिया जाता है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली से हरेक वोट आपको मिले, हम सभी आपके लिए कैम्पेन करेंगे। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो दिल्ली की जनता ‘बीजेपी दिल्ली छोड़ो’ का बोर्ड लेकर घुमेगी।’