
◆ ‘सेटिंग’ के बूते कथित तौर पर 15 सालों से बाबूपुरवा थाने में ही जमा है सलाम नाम का कांस्टेबिल!
◆ उर्दूू अनुवादक के पद पर हुआ था पुलिस में भर्ती, अपने ही थाना क्षेत्र में ढकनापुरवा का है स्थाई निवासी
◆ निवास वाले इलाके में ही पोस्टिंग के कारण बेलगाम होकर कथित तौर पर चलाने लगा ‘नेक्सस’
◆ इलाके में पासपोर्ट वेरिफिकेशन काम उर्दू अनुवादक के जिम्मे, वसूली के आरोप
◆ थाने के इस अनुवादक पर जुए की फड़ें, अवैध कारखाने, बिजली चोरी गैंग संचालकों और भूमाफियाओं से संबंधों के आरोप
◆ सबा नामक युवती से सरेराह छेड़खानी, बलात्कार और हत्या की धमकी के आरोपियों को उर्दू अनुवादक द्वारा बचाने के आरोप
◆ ‘पोल खुलने’ पर सलाम ने खेला ‘विक्टिम कार्ड’, खुद को ही पीड़ित बताया
कानपुर। ट्रांसफर-पोस्टिंग के नियम-कानूनों का मजाक बनाकर और शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर, उर्दू अनुवादक के पद पर कार्यरत एक पुलिसकर्मी कथित तौर पर पिछले 15 सालों से लगातार बाबूपुरवा थाने में ही जमा पड़ा है। इतना ही नहीं, अनुवादक सलाम अपने ही थानाक्षेत्र के ढकनापुरवा इलाके का स्थायी निवासी भी है।
उर्दू अनुवादक ने कथित तौर पर इलाके में बेनामी संपत्ति भी अर्जित कर ली है, जो जांच का बिंदु है। बाबूपुरवा से पूर्व कई थानों और पुलिस कार्यालय में कार्यरत रहा है। हाल में उसके एक रिश्तेदार शहर में एक थाने में इंस्पेक्टर भी बना दिये गये हैं। ऐसे कारणों से पुलिस महकमे पर पकड़ और अपराधियों के बीच सलाम का नेटवर्क है। कहा जाता है कि इससे वो स्थानीय जनता के लिये उत्पीड़न का बड़ा कारक बन गया है।
आरोप है कि अनुवादक सलाम के ट्रांसपोर्ट नगर के ढकनापुरवा, कंचनपुरवा, रत्तूपुरवा, सुख्खापुरवा जैसे इलाकों में जुएं की फड़ें, भूमाफिया और बिजली चोर गैंग व टैक्स चोरी के लिये फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनियां चलाने वालों से संबंध हैं। इन कामों के लिये खुुद पर्दे के पीछे रहकर, गड़बड़ लोगों के लिये ‘पुलिसिया सेटिंग’ करता है। यही सलाम ढकनापुरवा में होजरी और रेडीमेड के कई गैरकानूनी कारखाने चलाने वालों को प्रोटेक्शन देता है। आरोप तो यहां तक लगते हैं कि सलाम के कारण ढकनापुरवा इलाका कई नामी अपराधियों की शरणस्थली बन रहा। कुछ साल पहले ढकनापुरवा में ईनामियों की तलाश में पड़े छापों और पड़ताल में नाम आया, लेकिन उस वक्त की रूलिंग पार्टी के एक नेता की एप्रोच पर मामला दब गया था।
ढकनापुरवा निवासी युवती सबा खातून और उसके बीमार पिता अब्दुल मजीद ने आरोप लगाया है कि थाने का उर्दू अनुवादक सलाम ही भूमाफिया को प्रश्रय देकर उनके मकान को कब्जाने का प्रयास करवा रहा है। युवति द्वारा आवाज उठाने पर सलाम के इशारे पर उसको रास्ते में रोकर शारीरिक छेड़छाड़ की गई। तेजाब डालने से लेकर बलात्कार तक कर डालने की धमकी दी गई। पुलिस में दर्ज एफआईआर वापस नहीं लेने पर परिजनों को नकसान पहुंचाने की धमकी मिल रही हैं। फिर भी बाबूपुरवा पुलिस इस गंभीर मामले में एफआईआर के महीनों बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं कर रही।
उधर इतने संगीन आरोपों के बारे में पूछने पर बाबूपुरवा थाने के उर्दू अनुवादक पुलिसकर्मी सलाम ने ‘‘विक्टिम कार्ड’’ खेल दिया और खुद को ही पीड़ित बताने लगा है। उसने कहा कि वो तो प्राॅस्टेट कैंसर का मरीज है। उसको पुलिस अफसरों ने ही दया करके निवास स्थान वाले थाने में पोस्टिंग दी है। वहीं वो 15 साल से नहीं, केवल 5 साल से कुछ अधिक समय से ही बाबूपुरवा थाने में तैनात है। आरोपी कांस्टेबल सलाम कसमें खाकर कहता कि उसका इलाके के किसी तरह के जरायम या जरायम पेशा व्यक्ति से कोई ताल्लुक नहीं। अलबत्ता ये स्वीकारा कि ढकनापुरवा निवासी पीड़ित युवती सबा के मकान पर कब्जे का प्रयास करने वाला कथित भूमाफिया उसका रिश्तेदार है और एक बार उनके कहने पर वो मामले में पड़ा। लेकिन पुलिस को कार्रवाई से रोकने के आरोपों को सिरे से नकार दिया।
जानकारों के अनुसार सलाम सन 2004/05 से बाबूपुरवा थानेे में ही तैनात है। अब ये तथ्य तो पुलिस विभाग के अधिकारियों को जांचना होगा कि आखिर उर्दू अनुवादक कांस्टेबिल सलाम आखिर कैसे अपने ही गृह स्थान वाले थाने में इतने सालों से तैनात है। वो भी आखिर किन नियमों के तहत?











