उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को पोस्टल बैलट में भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं। इसे लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा और EVM को घेरा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘बैलेट पेपर की वोटिंग में समाजवादी पार्टी 304 सीटों पर जीती है, जबकि भाजपा मात्र 99 पर… लेकिन, EVM की गिनती में भाजपा चुनाव जीती, इसका मतलब है कोई न कोई बड़ा खेल हुआ है।
बैलेट पेपर की वोटिंग में समाजवादी पार्टी 304 सीटों पर जीती है, जबकि भाजपा मात्र 99 पर। किंतु ईवीएम की गिनती में भाजपा चुनाव जीती, इसका मतलब है कोई न कोई बड़ा खेल हुआ है।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) March 14, 2022
करीब 80 हजार वोट सपा को ज्यादा मिले
आंकड़ों के एनालिसिस से माना जा रहा है कि कर्मचारी वर्ग ने सपा के पुरानी पेंशन लागू करने वाले वादे पर ज्यादा भरोसा जताया है। पोस्टल बैलट में भाजपा गठबंधन को 1 लाख 47 हजार 407 वोट मिले, वहीं सपा गठबंधन को 2 लाख 27 हजार 234 वोट मिले। ऐसे में करीब 80 हजार वोट सपा को ज्यादा मिले हैं।
दरअसल, विधानसभा चुनाव की मतगणना में पोस्टल बैलट भी जीत का बड़ा आधार बनते हैं। पोस्टल बैलट से मतदान कर्मचारी वर्ग ही करता है। हालांकि, इस बार निर्वाचन आयोग ने वृद्ध और दिव्यांग के घर जाकर मतदान की सुविधा भी दी थी। इस बार कर्मचारी वर्ग में पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर बड़ा क्रेज दिखाई दिया। सरकार बनने पर सपा ने इसे लागू करने का वादा किया, लिहाजा पोस्टल बैलट में सरकारी कर्मचारियों ने सपा को जिता दिया।
पुरानी पेंशन बहाली के वादे का मिला फायदा
यूपी में समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र में जिन वादों को सरकार बनने के बाद लागू करने का वादा किया था, उसमें सबसे ज्यादा असर पुरानी पेंशन बहाली का हुआ। सरकारी कर्मचारी वर्ग में इसका बड़ा क्रेज दिखाई दिया। हालांकि, शुरू के तीन फेज में कर्मचारी इसको लेकर थोड़े आशंकित जरूर थे, लेकिन बाद के 4 चरणों में कर्मचारियों ने सपा का साथ दिया। जैसे ही राजस्थान की सरकार ने पुरानी पेंशन लागू करने का फैसला लिया, तो कर्मचारियों का रुख यूपी में भी बदल गया। तीसरे फेज के बाद से कर्मचारियों ने पोस्टल बैलट से सपा के पक्ष में इस कदर वोट किया कि सपा और उसके सहयोगी दलों को भाजपा और उसके सहयोगी दलों की तुलना में डेढ़ गुना से ज्यादा वोट मिले।
आंकड़ों में समझें कैसे कर्मचारियों ने पोस्टल बैलट में सपा को जिताया
यूपी में सात चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के शुरुआती तीन चरणों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को पोस्टल बैलट में ज्यादा वोट मिले। पहले चरण में गाजियाबाद में हुए मतदान में भाजपा के पक्ष में 364 तो सपा के हिस्से 216 वोट आए थे। नोएडा में सपा को 84 जबकि भाजपा को 228, नकुड़ में भाजपा को 343 जबकि सपा को 183, सहारनपुर में भाजपा को 306 और सपा को 291, आगरा कैंट में सपा गठबंधन को 296 जबकि भाजपा गठबंधन को 444 वोट मिले थे।
तीसरे चरण से बदला पोस्ट बैलट का समीकरण
यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे फेज की पोलिंग के आते-आते समीकरण बदल गया। तीसरे फेज में कर्मचारी सपा और गठबंधन के समर्थन में खुल कर आ गए। पोस्टल बैलट के साथ ही कर्मचारियों ने मतदान केंद्रों पर भी सपा के समर्थन में खुलकर वोट किया। लखीमपुर की सभी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीते, लेकिन अगर पोस्टल बैलट के हिसाब से देखा जाए तो निघासन में भाजपा को 126 जबकि सपा को 324, लखीमपुर में भाजपा को 401 जबकि सपा को 939 वोट मिले। बाकी चरणों में हुए चुनाव में भी पोस्टल बैलट में अधिकतर सीटों पर सपा के प्रत्याशियों को भाजपा से ज्यादा वोट मिले।
सीएम और पीएम सिटी में मामूली अंतर
इस बार योगी गोरखपुर के सदर सीट से भाजपा के प्रत्याशी रहे। उनकी इस सीट पर सबसे ज्यादा पोस्टल बैलट का इस्तेमाल हुआ। इसमें योगी आदित्यनाथ के पक्ष में 1329 जबकि सपा उम्मीदवार के हिस्से 1213 वोट आए। हालांकि, इस सीट पर पोस्टल बैलट में भी योगी को सपा के उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिला। पीएम की सिटी वाराणसी जिले की सभी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार को सपा प्रत्याशियों की तुलना में कुछ वोट ज्यादा मिले। वाराणसी कैंट में भाजपा के हिस्से 580 जबकि सपा के हिस्से 413, वाराणसी उत्तरी में भाजपा को 438, जबकि सपा को 634 और दक्षिणी में भाजपा को 206, सपा के हिस्से 203 पोस्टल बैलट आए।