किडनी की बीमारी का पता शुरुआत में पता नहीं चलता है। लेकिन इसके लक्षण धीरे-धीरे आपके शरीर में दिखाई देते हैं। जहां तक किडनी के बारे में आपको पता ही होगा ये हमारे शरीर का मुख्य अंग है जो ब्लड को साफ कर हमारे शरीर से सारे हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं जिस में से अगर एक भी काम करना बंद कर दे तो हम दूसरी किडनी के सहारे जीवित रह सकते हैं, लेकिन एक किडनी पर रहना थोड़ा मुश्किल होता है। अगर वक्त रहते हमें किडनी की परेशानी का मालूम हो जाए तो इसका इलाज कराके ठीक कराया जा सकता है।
पेट में असहनीय दर्द होना : आज हम आपको इसके लक्षण बताएंगे, जिससे आप वक्त रहते इस बीमारी को पहचान कर इलाज करवा सकते हैं। अगर आपके पेट के बांयी या दांयी ओर असहनीय दर्द हो रहा हो, तो इसे हल्के में ना लें, क्योंकि यह किडनी में परेशानी का इशारा हो सकता है। किडनी खराब होने पर शरीर में हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिस वजह से हाथों और पैरों में सूजन आने लगती है।
पेशाब का रंग गाढ़ा होना या रंग में बदलाव: इसके अलावा पेशाब का रंग गाढ़ा होना या रंग में बदलाव भी इसका संकेत देता है। अगर आपको मूत्र के दौरान खून आए तो ऐसे में आपको बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। आपको तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। अगर आपको अचानक कई बार पेशाब आ रहा है तो यह किडनी में किसी तरह की बीमारी का इशारा है।
पेशाब का काम आना और जलन : ऐसे हालात में जानने की कोशिश करें कि बार-बार पेशाब आने की वजह क्या किडनी की कोई बीमारी तो नहीं। पेशाब ज्यादा आना या कम आना दोनों ही अच्छा नहीं माना जाता है। अगर आपको पेशाब का एहसास होता है और जाने पर आपको पेशाब नहीं आता तो यह भी किडनी फेल का लक्षण है। अगर आपके पेशाब करते वक्त किसी तरह की जलन महसूस हो या बेचैनी हो तो इसका मतलब यह है कि या तो आपको यूरिन इन्फेक्शन हुआ है या फिर आपकी किडनी में कोई परेशानी है। ऐसे में आप एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। छोटे-मोटे काम करने के बाद कमजोरी, थकान महसूस होना या हार्मोन का स्तर गिरना किडनी फेल का लक्षण है।
ऐसे करें किडनी का बचाव
एक्सरसाइज करें : नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और दैनिक शरीरिक गतिविधियां, रक्तचाप को सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इस तरह शरीरिक गतिविधियां, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर देती है और इस प्रकार सी. के. डी. के जोखिम को कम किया जा सकता है।
हेल्दी डाइट ले: ताजे फल और सब्जियों युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, वसा और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वे लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें जिससे उच्च रक्तचाप और किडनी की पथरी के रोकथाम में मदद मिले।
वजन नियंत्रण रखें: स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह मधुमेह, ह्रदय रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में सहायक होता है।
धूम्रपान और तंबाकू के उत्पादों का सेवन ना करे: धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में रक्त प्रवाह को कम कर देता है। जिससे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चला हैं की धूम्रपान के कारण उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी की बीमारी है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।
खूब पानी पीएं: रोज 3 लीटर से अधिक (10-12 गिलास) पानी पीएं। पर्याप्त पानी पीने से, पेशाब पतला होता है एवं शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकलने और किडनी की पथरी को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।
किडनी का चेक-अप करवाएं: किडनी की बीमारियाँ अक्सर छुपी हुई एवं गंभीर होती है। अंतिम चरण पहुँचने तक इनमें किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखता है। किडनी की बीमारियों को रोकथाम और शीघ्र निदान के लिए सबसे शक्तिशाली पर प्रभावी उपाय है नियमित रूप से किडनी का चेक -अप कराना। पर अफ़सोस है की इस विधि का उपयोग ज्यादा नहीं होता है। किडनी का वार्षिक चेक -अप कराना, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनके परिवार में किडनी की बीमारियों का इतिहास है।