कवि वीरेन डंगवाल की जयंती : ‘आएंगे, उजले दिन ज़रुर आएंगे, पर डरो नहीं चूहे आखिर चूहे ही हैं…’
लखनऊ । ….आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे… आतंक सरीखी बिछी हुई हर ओर बर्फ़.. है हवा कठिन, हड्डी-हड्डी को ठिठुराती… आकाश उगलता अंधकार फिर एक बार… संशय-विदीर्ण आत्मा राम की अकुलाती… होगा वह समर, अभी होगा कुछ और बार… तब कहीं मेघ ये छिन्न-भिन्न हो पाएंगे। तहख़ानों से निकले मोटे-मोटे चूहे… जो लाशों की बदबू … Read more