सर्दी में बच्चों की सेहत का रखें खास ख्याल


– जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ ने दिए सुझाव

मैनपुरी – पारा लुढकने के साथ ही बच्चे सर्दी, खांसी व कोल्ड डायरिया की चपेट में आने लगे हैं। ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा खतरनाक कोल्ड डायरिया है। सही समय पर इससे बचाव का उपाय कर बच्चों को सेहतमंद रखा जा सकता है। अगर बच्चे की सांस तेज चल रही हो, सांस में घरघराहट हो, शरीर शिथिल पड़ने लगे, बेहोश होने लगे अथवा झटका आए, यह निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में अविलंब बच्चे को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।


        जिला चिकित्सालय मैनपुरी के सीएमएस और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 आर.के. सगर का कहना है कि यदि बच्चे को 24 घंटों में तीन या उससे अधिक बार दस्त आए और शिशु के मल त्याग की आवृत्ति सामान्य से ज्यादा हो, बच्चा सुस्त हो, कुछ भी पीने में कठिनाई हो रही हो तो उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। इस मौसम में होने वाली आम बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे समय में बच्चे निमोनिया व कोल्ड डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। डॉ0 आर.के. सगर ने बताया कि बदलते मौसम के साथ निमोनिया व कोल्ड डायरिया दोनों ही बीमारियों के प्रति ध्यान देने की जरूरत है। मां बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं और शिशु को छूने से पहले व भोजन कराने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोएं।

इससे बच्चों को अधिकांश बीमारियों से बचाया जा सकता है। इन दिनों जिला अस्पताल की ओपीडी में औसतन हर रोज निमोनिया व कोल्ड डायरिया के 15 मरीज आ रहे हैं। हमारे यहां निमोनिया एवं कोल्ड डायरिया से पीड़ित बच्चों के इलाज की बेहतर व्यवस्था है। डॉ0 सगर बताते हैं कि बच्चों को सर्दी के मौसम में खुले में नहीं ले जाना चाहिए। शरीर व सिर को गर्म कपड़ों से ढंक कर रखना चाहिए। ठंड के समय में बच्चे की मालिश किया जाना चाहिए। धूप में मालिश किया जाए तो और अच्छा है। रात में सोते समय यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि बच्चा रजाई या कंबल से बाहर तो नहीं है।

सर्दियों में डायरिया से बच्चों को बचाएं
सर्दियों में बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाना जरूरी होता है। नियमित अंतराल पर बच्चों को पानी पिलाते रहना चाहिए। ठंड में गुनगुना पानी पिलाना ज्यादा फायदेमंद होता है। बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने पर डायरिया का खतरा बढ़ जाता है।

कोल्ड डायरिया के लक्षण
सामान्य तौर पर जब बच्चों को सर्दी-जुकाम और खांसी के साथ दस्त की समस्या हो तो यह कोल्ड डायरिया है. भारत के गांव-कस्बों में लोग ऐसी स्थिति में बच्चों को एंटीबायोटिक दवा देने लगते हैं. कोल्ड डायरिया में बच्चे को एंटीबायोटिक्स दवा नहीं देनी चाहिए। चिकित्सीय परामर्श के बाद ही बच्चों को दवा उपलब्ध कराना उचित है।

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