भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली। देश के सबसे पुराने कंपनियों मे शुमार तेज बंधु ग्रुप पत्रकारिता जगत मे अपने अपने सौ वर्ष पूरे कर रहा हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देशबंधु गुप्ता द्वारा 1923 में स्थापित, यह मीडिया समूह डेली तेज और द नॉर्थईस्ट सन सहित कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संचालन करता है। यह मील का पत्थर पत्रकारिता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का प्रमाण है। देशबंधु गुप्ता ने न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता के रूप में बल्कि एक पत्रकार के रूप में भी एक अमिट छाप छोड़ी। वंदे मातरम से की थी पत्रकारिता जीवन की शुरुआत लाला देशबंधु गुप्ता, जिन्हें मूल रूप से रति राम गुप्ता के नाम से जाना जाता था, ने दैनिक तेज की नींव रख कर परिवर्तनकारी पथ की शुरुआत की। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर गुप्ता ने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी।
स्वामी श्रद्धानंद और महात्मा गांधी ने उन्हें देशबंधु नाम दिया। पत्रकारिता जगत में देशबंधु गुप्ता की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित समाचार पत्र वंदे मातरम के संपादक के रूप में कार्य किया। लोगों की आवाज बन कर उभरा था तेज 1923 में, देशबंधु गुप्ता और स्वामी श्रद्धानंद ने वैदिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने के उद्देश्य से एक उर्दू समाचार पत्र डेली तेज की स्थापना की। दिल्ली के नई सड़क में एक छोटे से कार्यालय में विनम्र शुरुआत के साथ, अखबार जल्द ही ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली आवाज बन गया। 1924 में स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद, डेली तेज पूरी तरह से लाला देशबंधु गुप्ता के स्वामित्व में था, जिन्होंने इसे बचाए रखने के लिए संघर्ष किया और इसके प्रकाशन को बनाए रखने के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उस दौरान उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला और अन्य लोगों ने अपने दान के माध्यम से देशबंधुजी की मदद की। देखते ही देखती डेली तेज लोगों की आवाज बन कर उभरा और बिना किसी डर के अपने देश की सेवा की। सेंसरशिप और कारावास का सामना करने के बावजूद, डेली तेज ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना अटूट समर्थन जारी रखा, जिसने राष्ट्र को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संविधान सभा में उठाई आवाज पत्रकारिता की सत्यनिष्ठा और प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए लाला देशबंधु गुप्ता के अथक प्रयासों ने भारतीय पत्रकारिता पर एक अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने ब्रिटिश शासन की आलोचना करने और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में डेली तेज का से उपयोग किया, और प्रेस की स्वतंत्रता के एक प्रमुख वकील बन गए। 1940 में एक स्वतंत्र प्रेस की लड़ाई में प्रभावशाली आवाजों को एकजुट करते हुए अखिल भारतीय समाचार पत्र संपादक सम्मेलन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। बतौर एक पत्रकार व संविधान सभा के सदस्य के रूप में, देशबंधु गुप्ता ने प्रेस की स्वतंत्रता की पुरजोर वकालत की। सितंबर 1949 में विधानसभा की बहस के दौरान, उन्होंने एक स्वतंत्र और अप्रतिबंधित प्रेस के महत्व के बारे में चर्चाओं में सक्रियता से भाग लिया। सदन में देशबंधु गुप्ता ने समाचार पत्रों पर टैक्स लगाने के मुद्दे पर अपनी चिंता जाहीर की। उन्होंने समाचार पत्रों को कर मुक्त करने और उन्हें अन्य उद्योगों से अलग रखने की आवश्यकता पर बल दिया था। आगे की पीढ़ी ने देशबंधु की विरासत को सँजोया 1951 में एक हवाई दुर्घटना में लाला देशबंधु गुप्त के दुखद निधन के बाद, उनके पुत्र विश्वबंधु गुप्ता ने डेली तेज की बागडोर संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में, प्रकाशन फला-फूला और अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया। तेज बंधु ग्रुप द्वारा प्रकाशित दीवाना तेज, एक बेहद सफल हिंदी हास्य व्यंग्य पत्रिका जिसने 1960 के दशक में लोकप्रियता हासिल की। द वीकली सन, भारत का पहला राजनीतिक और युवा टैबलॉयड है, जिसने 1970 और 80 के दशक में युवा पीढ़ी को आकर्षित किया। द नॉर्थईस्ट सन, एक प्रमुख अंग्रेजी पत्रिका, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख आवाज के रूप में उभरी। राज्यसभा संसद रहे विश्वबंधु गुप्ता के निधन के बाद, उनके छोटे भाई रमेश गुप्ता ने तेज के संपादक की भूमिका निभा रहें हैं। 1923 में शुरू हुई पत्रकारिता की इस यात्रा ने इस वर्ष सौ साल पूरे कर लिए हैं।