सोशल मीडिया पर गर्भवती महिलाओं की तस्वीरों में बढ़ रही खूबसूरती, जानिए क्यों

सोशल मीडिया पर गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद की फोटो डालने का ट्रेंड धड़ल्ले से चल रहा है। लेकिन इनमें से ज्यादातर तस्वीरों में महिलाएं डिलीवरी के बाद भी फिट नजर आती हैं। उनके पेट पर न स्ट्रेच मार्क्स होते हैं, न ऑपरेशन के निशान दिखाई देते हैं। मगर यह हकीकत नहीं है।

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में हुए एक शोध से पता चला है कि डिलीवरी के बाद सोशल मीडिया पर डाली जा रहीं तस्वीरें वास्तविकता नहीं दिखातीं। कई तो फोटोशॉप की गई होती हैं। तकनीक के जरिए उनकी खूबसूरती बढ़ाई जाती है।

इंस्टाग्राम फोटोज पर हुई रिसर्च

रिसर्चर्स ने पोस्टपार्टम बॉडी हैशटैग से इंस्टाग्राम पर डाली गईं 600 तस्वीरों की जांच की। इनमें से सिर्फ 5% तस्वीरों में ही स्ट्रेच मार्क्स या ऑपरेशन के स्कार्स नजर आए। इसमें ‘रीसेंट’ और ‘टॉप’ पोस्ट कैटेगरी में जो तस्वीरें हैं, उनमें 91% दुबली-पतली या औसत वजन की महिलाओं की तस्वीरें ही हैं। इन तस्वीरों को भी तमाम सॉफ्टवेयर की मदद से खूबसूरत बनाया गया है। कई में ब्यूटी फिल्टर तक लगाए गए हैं।

हेल्थकेयर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित इस शोध की मुख्य शोधार्थी और सिडनी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉक्टर मेगन गौ कहती हैं- सोशल मीडिया पर डाली जा रही ये तस्वीरें एक तरह का भ्रम पैदा कर रही हैं। वे कहती हैं- गर्भावस्था के दौरान महिलाएं पहले से ही दबाव में होती हैं। सोशल मीडिया की इन तस्वीरों को देखकर वे और ज्यादा तनाव में चली जा रही हैं।

नई मांओं में शरीर को लेकर डिप्रेशन बढ़ रहा

नई मां में अपने शरीर से असंतुष्टी के भाव पैदा हो रहे हैं। कई बार तो प्रसव के बाद डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार हो रही हैं। वे इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइट्स पर डिलीवरी के बाद की तस्वीर देखकर खुद से कहती हैं, मुझे भी सुपरफिट और पतले होने की जरूरत है। यहां तक कि बच्चों को दूध पिलाने के दौरान भी वे अपने फिगर के बारे सोचती हैं। ‌वे अनिद्रा का शिकार भी हो रही हैं।

हालात इतने खराब हो गए हैं कि ऑस्ट्रेलिया में प्रसवकालीन चिंता और अवसाद के लिए अलग से हेल्पलाइन तक शुरू की गई है। हेल्पलाइन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी जूली बॉर्निन्कॉफ कहती हैं, सोशल मीडिया पर डिलीवरी के बाद की खूबसूरत तस्वीरें देखकर महिलाएं खुद की आलोचना करने लगी हैं। उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि हर महिला इस दौर में लगभग एक जैसे ही बदलावों से गुजरती है।

नई मां को अपने शरीर से प्यार करने को न कहें

नई मां को अपने शरीर से प्यार करने को प्रोत्साहित करना भी उन्हें एक तरह के दबाव में डाल देता है। सिडनी की क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक कैथरीन सौंडर्स कहती हैं कि नई मां के जहन में यह बैठाना जरूरी है कि जो है, सबसे बेहतर है। 3 साल की बच्ची की मां और फिटनेस विशेषज्ञ जूली फ्रीमैन कहती हैं कि डिलीवरी के बाद सोशल मीडिया पर शरीर दिखाना ठीक नहीं है। उससे बेहतर है कि गर्भवती महिलाएं उस दौरान हो रहे बदलाव के बारे में बात करें।

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