चंडीगढ़ । पंजाब सरकार का खजाना खाली है। कैप्टन के सूबे की रिआया बेहाल हैं। कर्मचारी परेशान हैं। मगर ऐसा लगता है कि इससे राज्य की कैप्टन अमिरंदर सिंह सरकार को मतलब नहीं है। उसे चिंता अपने पूर्व माननीयों की है। तभी तो पंजाब सरकार पूर्व विधायकों की पेंशन में वृद्धि करने की तैयारी मे है। इस आशय का प्रस्ताव विधि विभाग को भेजने के बाद वित्त विभाग के पास भेजा जा चुका है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार इस प्रस्ताव को 6 नवम्बर को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में लाने के कोशिश में है।
प्रस्ताव यह है कि पूर्व विधायकों को प्रति माह मिलने वाली 15,000 रुपये की पेंशन को 22,000 रुपये किया जाएगा। माननीयों के लिए सुखद यह है कि जो जितनी बार विधायक चुना जाएगा, उतनी ही बार उसे पेंशन मिलेगी। सरकार पूर्व माननीयों को यह तोहफा गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर देना चाहती है। 2016 में पहली बार विधायक चुने गए नेताओं की पेंशन दस हजार रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गई थी। एक बार से ज्यादा विधायक चुने गए नेताओं की पेंशन 7500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति माह की गई थी। इसे भी बढ़ाकर 15, 000 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव है ।
पिछले पांच वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक विधायकों की आर्थिक सुविधाओं में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्ष 2007-08 में हर विधायक को 4.89 लाख रुपये सालाना मिलते थे। अब उन्हें 18. 76 लाख रुपये मिल रहे हैं। विधानसभा का बजट इसमें शामिल नहीं है। विधायकों, मंत्रियों आदि पर सरकार प्रति वर्ष 300 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है। पंजाब के अमीर विधायक और मंत्री भी सुविधाओं को लेने में देरी नहीं करते।
यह प्रस्ताव ऐसे गाढ़े वक्त पर आ रहा है जब आर्थिक तंगी के चलते कांग्रेस सरकार अपने चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे नहीं कर पा रही। कर्मचारी वेतन और भत्तों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब की आय भी दिन-प्रतिदिन कम हो रही है। शराब , स्टाम्प ड्यूटी और पेट्रोल से होने वाली आय भी कम हो चुकी है। सरकार 17770 करोड़ रुपये तो ब्याज के रूप में अदा कर चुकी है। व्यापार ठप है। पूंजीगत खर्च में 12 प्रतिशत की गिरावट से साफ है कि विकास कार्यों के खर्च में कमी की गई है।