अब पत्नी सरकारी नौकरी कर रही है फिर भी पति को उसे हर्जाना देना होगा। राजस्थान के जोधपुर में फैमिली कोर्ट नंबर तीन ने एक महिला को भरण पोषण के लिए दो लाख की राशि देने का आदेश जारी किया है। महिला सरकारी अध्यापिका है और उसके दोनों बच्चे उसके पास ही है। फैमिली कोर्ट के जज दलपत सिंह राजपुरोहित ने पति के स्टेटस और आय के आधार पर फैसला सुनाया।
महिला की ओर से वकील नागराज गोस्वामी ने बताया कि भरण पोषण के लिए महिला ने 2019 में फैमिली कोर्ट नंबर 1 में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। नवंबर 2021 में यह मामला पारिवारिक न्यायालय संख्या 3 में शिफ्ट किया गया।
महिला ने बताया कि उसका विवाह 18 फरवरी 1999 में हिंदू रीति रिवाज से हुआ था, उसके दो पुत्र हैं और शादी के बाद से घरेलू हिंसा कर, दहेज की मांग कर उसे घर से निकाल दिया गया था। उसका पति एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सिस्टम के नाम से इलाहाबाद, मुंबई, जोधपुर आदि स्थानों पर सेंटर चलता है उसकी मासिक आय सात लाख से अधिक है। जबकि महिला थर्ड ग्रेड टीचर है और दो बच्चे हैं जिनका पढ़ाई का खर्च भी अधिक है। इसके चलते महिला ने भरण पोषण के लिए एप्लीकेशन लगे जिस पर सुनवाई के बाद जज ने दो लाख के भरण पोषण का आदेश पारित किया। जिसमें एक लाख रुपए पत्नी को अदा करने और 50-50 हजार रुपए दोनों बच्चों को अदा करने के आदेश दिए गए।
वकील नागराज गोस्वामी ने बताया कि रजनीश बनाम नेहा के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिसमें यह आदेश किया गया था कि महिला अगर वर्किंग हो तब भी भरण पोषण की हकदार है। इस आधार पर फैमिली कोर्ट 3 के जज ने यह आदेश जारी किए।