कताई मिल की वीरान आंखों को ‘उम्मीद’ का इंतजार

दो दशकों से बंद पड़ी है महमूदाबाद की कताई मिल, 20 वर्ष में चार सांसद भी न कर सके बेड़ा पार

महमूदाबाद, सीतापुर। करीब दो दशक से बंद पड़े महमूदाबाद के सेमरी कताई मिल की वीरान आंखों में आज भी उम्मीद का सैलाब उमड़ता है कि कोई ऐसा सांसद आएगा जो उसका उद्धार करेगा। यह मिल करीब डेढ़ हजार श्रमिकों के परिवारों की रोजी-रोटी का जो मिल साधन हुआ करती थी। आज वहां वीरानी छाई है। इस दौरान चार सांसद आए और चले गए। चुनाव में कताई मिल को चालू कराने का वादा कर वोट तो ले लिया पर चुनाव जीतने के बाद किसी ने इसके उद्धार के किए कोई ठोस उपाय नहीं किए। कताई मिल बंद होने से हजारों परिवारें की रोजी-रोटी छिन जाने के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है। सीतापुर सहकारी कताई मिल सेमरी चौराहा के कारण महमूदाबाद को 22 घंटे तक प्रतिदिन बिजली मिलती थी। भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे कई अन्य देशों में इस कताई मिल का धागा बहुत पसंद किया जाता था। किंतु 2000 में कताई मिल की बंदी के बाद सेमरी चौराहे पर मुर्दनी सी छाई है। हजारों परिवारों की रोजी-रोटी छिन गई। जब-जब चुनाव का वक्त आया तो बंद पड़ी कताई मिल को चालू कराने के बड़े-बड़े वादे किए गए। धरना-प्रदर्शन हुए। कर्मचारी, संगठनों ने लंबी लड़ाई लड़ी परन्तु कताई मिल की मशीनें और कीमती सामान नीलाम हो गया। अपनी बदनसीबी पर कताई मिल बेबसी के आंसू बहा रही है।

कताई मिल को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल में ठन गई थी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता, सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रही डा. राजेंद्र कुमारी वाजपेयी से वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश के तत्कालीन एनडी तिवारी की सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री तथा कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहे डा. अम्मार रिजवी में कताई मिल की स्थापना को लेकर रिश्ते 36 में बदल गए थे। डा. वाजपेयी चाहती थी कि कताई मिल की स्थापना उनके तत्कालीन सीतापुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले लहरपुर कस्बे में हो। डा. रिजवी इसे महमूदाबाद में स्थापित कराना चाहते थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र रहे डा. रिजवी ने बाजी मार ली और 1980 में महमूदाबाद तहसील के सेमरी चौराहा के पास सीतापुर सहकारी कताई मिल की बुनियाद रखी गई। मुख्यमंत्री के रूप में एनडी तिवारी, प्रदेश के तत्कालीन उद्योग मंत्री मुईद अंसारी सहित कई नेता शिलान्यास समारोह में शामिल रहे थे।

उम्मीद नहीं छोड़ी है क्षेत्र के लोगों ने

कताई मिल को पुनः चालू कराने के लिए लोगों ने अभी अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। चंद्रभूषण शुक्ल कहते हैं कि यदि नेता पूरी रूचि दिखायें और जनता नेताओं पर दबाव बनाकर उनके वादे याद दिलाये तो कताई मिल फिर से चालू हो सकती है। राम प्रवेश प्रजापति कहते हैं कि मिल के कारण से गुलजार रहने वाला सेमरी चौराहा पूरी तरह बीरान हो गया है। नेताओं को अपने वादे पर अमल करना चाहिए। बब्बन सिंह, संतोष सिंह, बच्चा सिंह, रमेश सिंह, प्रदीप प्रजापति, छोटे लाल मिश्र, रमेश सिंह, पवन सिंह कहते हैं कि जनता को जागरूक होना पड़ेगा। जनता जिस दिन जागरूक हो जाएगी उस दिन नेताओं को अपने वादे पूरे करने पड़ेगे।

चार सांसद चुनकर गए किंतु नहीं हुआ समस्या का समाधान

महमूदाबाद विधानसभा क्षेत्र मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में आता था। 1999 से 2004 तक यह सीट सपा के खाते में थी और सुशीला सरोज को जनता ने यहां से अपना नुमाइंदा चुनकर संसद भेजा था। 2004 में हुए संसदीय चुनाव में जनता ने सुशीला सरोज को नकराते हुए बसपा के अशोक रावत को सांसद चुनकर दिल्ली भेजा। 2009 में लोकसभा क्षेत्रों का पुनः सीमांकन हुआ और महमूदाबाद विधानसभा को सीतापुर संसदीय क्षेत्र में जोड़ दिया गया। इस बार भी यहां की जनता ने बसपा की उम्मीदवार कैसरजहां को चुनाव जिताकर सांसद बना दिया। 2014 में मोदी लहर में कैशरजहां को हार का सामना करना पड़ा और बसपा से भाजपा दामन थामकर भगवाधारी हुए राजेश वर्मा को यहां जीत मिली। इन सांसदों के आने-जाने का समस्या के समाधान पर कोई असर नहीं हुआ। हर बार कतई मिल चलवाने के झूठे वादे करके जनप्रतिनिधि यहां की जनता का वोट हासिल करते गए और समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां की जनता को आज भी महर्षि दधीचि जैसे त्याग और बलिदानी पुरूष का इंतजार है जो कतई मिल चालू करवाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकारों ने संघर्ष कर सके।

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