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भास्कर ब्यूरो
लखनऊ। एक सरकारी चिठ्ठी को साढ़े पांच महीने से जवाब का इंतजार है। कारण लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सरकारी आदेश को रद्दी की डलिया में डालकर भ्रष्टाचारियों के संरक्षक बनते दिख रहे है। प्रकरण दो सहकारी आवास समितियों और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों की मिलीभगत से जुड़ा हैं। आरोप सच साबित हुए तो दिखावे की कार्रवाई हुई। दरअसल एलडीए ने सहकारी आवास समितियों को रेवड़ी के दाम पर बेशकीमती भूखंड थमा दिए। शिकायत हुई तो उसका अधिग्रहण कर लिया। कोर्ट-कचहरी होने पर अधिग्रहण के एवज में गोमतीनगर विस्तार में वैकल्पिक भूखंड दिए गये, लेकिन अपनी जमीन वापस लेना भूल गए। इसी मामले में सहकारी समितियों और एलडीए के दोषी अफसरों पर कार्रवाई के लिए शासन से साढ़े पांच महीने में चार पत्र लिखे गए हैं, मगर रहम की रवायत को उपाध्यक्ष ने बरकरार रखा हैं।
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साढ़े तेरह बीघा जमीन की रेवडी बांटी
दि हिमालयन सहकारी आवास समिति और बहुजन निर्बल सहकारी गृह निर्माण समिति द्वारा जनमानस के साथ की जा रही धांधली की बात उठी तो शासन के आदेश पर प्राधिकरण ने समिति को दी गई भूमि को अधिग्रहित कर लिया। समितियां कोर्ट पहुंच गई। न्यायालय के आदेश के बाद जब एलडीए ने सहकारी समिति के भूमि अधिग्रहण के बदले गोमतीनगर विस्तार योजना के सेक्टर 1 और 5 में छप्पन हजार तीन सौ सात वर्ग मीटर जमीन 2017 में हस्तांतरित कर दी लेकिन अपनी 13.2 बीघा जमीन जो प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण की गई थी उसे समिति से वापस नहीं लिया। उल्टे अधिग्रहण के बदले में सेक्टर 1 और 5 में छप्पन हजार वर्ग मीटर जमीन से ज्यादा भूमि दे दी। भूखंडों का समायोजन कर सैकड़ों करोड़ों का खेल एलडीए के अधिकारियों और समिति के पदाधिकारियों ने किया ।
शासन ने कई बार जारी किया पत्र एलडीए ने नहीं दी रिपोर्ट ।
शासन ने आवास आयुक्त उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। जिसकी जांच में आवास आयुक्त बलकार सिंह ने मई 2024 में अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर इस भूमि घोटाले के लिए एलडीए के अधिकारियों और दि हिमालयन व निर्बल बहुजन सहकारी आवास समितियों के पदाधिकारियों को दोषी माना। शासन ने एलडीए उपाध्यक्ष को रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने के लिए मई 2024 से लेकर अब तक चार पत्र लिखे और कड़े शब्दों में दोषियों पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की लेकिन पूर्व एलडीए उपाध्यक्ष से लेकर वर्तमान एलडीए उपाध्यक्ष ने अभी तक इस मामले में शासन को अपनी कार्यवाही की रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
सवाल
मई में आवास आयुक्त दे चुके है इस मामले फाइनल रिपोर्ट फिर अभी तक एलडीए उपाध्यक्ष ने क्यों नहीं की कोई कार्यवाही ?
आखिर किन लोगो को बचाना चाह रहे है एलडीए
उपाध्यक्ष खामोश्ा !
शासन से 4 बार पत्र जारी होने के बाद भी अभी तक मामले में शासन को क्यों नहीं भेजी गई कार्यवाही की रिपोर्ट ?
एलडीए उपाध्यक्ष ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर जब एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से फोन पर संपर्क करना चाहा गया तो उनका फोन नहीं उठा यही उनको व्हाट्सएप पर लिखित में भी मामले से अवगत कराया गया लेकिन उनकी कोई भी प्रतिक्रिया देर रात तक नहीं आई।