सिडनी आतंकी हमले का इंटरनेशनल नेटवर्क बेनकाब, तेलंगाना पुलिस ने दी अहम जानकारी

तेलंगाना पुलिस ने किया खुलासा, रोजगार की तलाश में चला गया था आस्ट्रेलिया

नई दिल्ली । ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बॉन्डी बीच पर यहूदी समुदाय के हनुक्का कार्यक्रम में हुए आतंकी हमले ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में 15 लोगों की मौत और दर्जनों लोग घायल हो गए थे। भारत से लेकर ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस तक कई एजेंसियां इस आतंकी साजिश के तार खंगालने में जुटी हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स में हमलावरों को पाकिस्तानी मूल का बताया था, लेकिन भारत के तेलंगाना पुलिस के मुताबिक साजिद अकरम मूल रूप से हैदराबाद का रहने वाला था और उसने वहीं से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की थी।

वर्ष 1998 में रोजगार की तलाश में ऑस्ट्रेलिया चला गया था और बीते करीब 27 सालों से उसका भारत से कोई संबंध नहीं रहा। पुलिस के मुताबिक साजिद ने इस दौरान केवल छह बार भारत आया यहां तक कि पिता के निधन के समय भी वह भारत नहीं आया। तेलंगाना पुलिस ने साफ किया है कि इस हमले के पीछे भारत या तेलंगाना से जुड़ा कोई स्थानीय लिंक नहीं है और कट्टरपंथी विचारधारा के सूत्र विदेश में ही विकसित हुए हैं।

तेलंगाना पुलिस के मुताबिक साजिद अकरम के पास अब भी भारतीय पासपोर्ट था, लेकिन भारत से उसका रिश्ता सीमित था। पुलिस के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद वह केवल छह बार ही भारत आया और वह भी मुख्य रूप से संपत्ति से जुड़े कामों या बुजुर्ग माता-पिता से मिलने के लिए। ऑस्ट्रेलिया में बसने के बाद साजिद ने यूरोपीय मूल की महिला वेनेरा ग्रोसो से शादी की। उनके दो बच्चे हुए, जिसमें एक बेटा नावेद अकरम और एक बेटी है। दोनों बच्चे ऑस्ट्रेलिया में जन्मे और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं।

बता दें 14 दिसंबर को सिडनी के बॉन्डी बीच पर हनुक्का समारोह के दौरान हुए आतंकी हमले में साजिद और उसके बेटे नावेद अकरम ने गोलीबारी की। इस हमले में 15 लोगों की मौत हुई और 42 से ज्यादा लोग घायल हुए। पुलिस मुठभेड़ में साजिद मारा गया, जबकि नावेद गंभीर रूप से घायल अवस्था में पुलिस हिरासत में है। जांच में सामने आया है कि हमले से कुछ हफ्ते पहले साजिद और नावेद फिलीपींस गए थे। वे 1 नवंबर 2025 को सिडनी से फिलीपींस पहुंचे और 28 नवंबर को वापस लौटे। उन्होंने मिंडानाओ के दावाओ क्षेत्र की यात्रा की थी, जो पहले आईएस से जुड़े आतंकी नेटवर्क के लिए जाना जाता रहा है। बॉन्डी बीच हमला ऑस्ट्रेलिया में पिछले करीब 30 सालों का सबसे बड़ा और सबसे घातक हमला माना जा रहा है।

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