आज (9 नवंबर) हिन्दी पंचांग का नवां महीना मार्गशीर्ष यानी अगहन शुरू हो गया है। ये महीना 8 दिसंबर तक रहेगा। श्रीमद् भागवत में श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष महीने को खुद का ही स्वरूप बताया है। इस वजह से ये महीना श्रीकृष्ण की भक्ति को समर्पित है। पूरे महीना श्रीकृष्ण और उनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा इस महीने में करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा कहते हैं कि ये श्रीकृष्ण का प्रिय महीना है। पुराणों में लिखा है कि अगहन मास में व्रत-उपवास और विशेष पूजन करने से श्रीकृष्ण की कृपा मिलती है।
अगहन मास में भगवान श्रीकृष्ण के पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन और पूजन करना चाहिए। अगर मंदिरों में दर्शन करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल गोपाल की विशेष पूजा रोज करें। बाल गोपाल को तुलसी के साथ ही भोग लगाना चाहिए। भगवान के सामने घी का दीपक जलाकर कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।
बाल गोपाल की पूजा में जरूरी चीजें
भगवान की मूर्ति को स्नान के लिए बर्तन, तांबे का लोटा, कलश, दूध, वस्त्र, आभूषण, चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध, तुलसी, तिल, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, माखन-मिश्री, पान, दक्षिणा।
ऐसे कर सकते हैं बाल गोपाल की पूजा
अगहन मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। फूल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। चावल चढ़ाएं।
गणेश जी के बाद श्रीकृष्ण की पूजा शुरू करें। बाल गोपाल को स्नान कराएं। स्नान पहले शुद्ध जल से फिर पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से कराएं। इसके बाद वस्त्र अर्पित करें।
फूलों से श्रृंगार करें। हार-फूल, फल मिठाई, जनेऊ, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, पान, दक्षिणा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। तिलक करें। धूप-दीप जलाएं। तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
कृं कृष्णाय नम:, ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। अंत में पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें। इसके बाद प्रसाद बांटें और और खुद भी ग्रहण करें।