
भास्कर समाचार सेवा
नहटौर। नगर में गरीबों मजदूरों एवं शोषित वर्ग के सबसे बड़े हमदर्द बनकर उनके दुख दर्द में हर समय शरीक रहने का दम भरने और स्वयं को बड़ा समाजसेवी प्रदर्शित करने वाले साम दाम दंड भेद अपनाकर चेयरमेन पद कबजाने की फिराक में लगे उम्मीदवार चुनाव हटते ही बरसाती मेंढक की तरह गायब हो गए हैं। दो तीन को छोड़कर सभी के दुल्हन बने कार्यालय अब वीरान नजर आ रहे हे वहां से दरी आदि सामान समेट लिया गया हे।
मालूम हो कि नगर निकाय चुनाव समय पर संपन्न कराने की प्रदेश सरकार की मंशा पर पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर उच्च न्यायालय में हुए वाद दायर के कारण ग्रहण लग गया है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है जिसमें अप्रैल 23 तक कुछ हल निकलने की उम्मीद की जा रही है। न्यायालय की बाध्यता के कारण चुनाव मई-जून में होने भी संभव बनते दिखाई दे रहे हैं इसी के चलते नगर की सूरत और सीरत बदलने के लंबे चौड़े दावे करके जनता के सच्चे हमदर्द बनने का दम भरने वाले भावी चेयरमैन पद के डेड दर्जन से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी दरिया और चादर जहां समेट कर रख ली है वहीं कार्यालय से कुर्सी भी हटा दी गई हे दो तीन भावीं प्रत्याशियों को छोड़ अधिकांश के कार्यालय वीरान पड़े हैं अब ना उस तरफ जनता ही पहुंचती है और ना ही भावी चेयरमैन अपने दफ्तर में बैठने की हिम्मत दिखा पा रहे हैं यूं कहिए कि सवेरे से देर रात तक गुलजार रहने वाले कार्यालय अब विरान बने हैं। उम्मीदवारो के गायब हो जाने तथा कार्यालय वीरान होने से पूर्व में सवेरे से शाम तक कई कई प्रत्याशियों के कार्यालय पर जाकर चिकन बिरयानी एवं शाम का गला तर करने वाले लोग तो नेताओं के गायब होने से भारी परेशान है। सर्वाधिक परेशानी तो उन छुट भैया नेताओं को हो रही है उन्हें अपना खर्चा पानी नही मिल पा रहा है और नाही नेताजी के दीदार हो पा रहे हैं। ठेकेदारों की दुकानों के शटर गिरे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ नेता तो टिकट की चाहत में अब अपनी अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी के आकाओं की शरण में पहुंचे हुए हैं। इधर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले उम्मीदवारो के दावो और घोषणाओं से जनता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रही हे उनका कहना हे की यदि चुनाव नही हटते















